पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/५०२

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शिक्षा कैसी होनी चाहिए। पह यह कि लोगों में धर्म-पांच की मापात प्रपिक है, ने अपने युयको को यूरोप पीर अमेरिका भेजना इस पर देश के प्रति भी उनका कुछ कम है या नहीं, मिच शुरू कर दिया कि पे पहाँ जाकर विशान यह उनको नही मालूम । यद पड़ा मारी दोर पार कला-सम्बन्धिनी शिक्षा प्राप्त करें क्योंकि देशो- है। भवपप शिक्षा पदी प्रती है जिससे ईयर का प्रति का दारोमदार उन्होंने इसी शिक्षा को समझा। पान को पार जा अपमे देश या जाति के सुपार में हमारे देश में फेयल एक ही पेसा विद्यालय है। सदायक मीसके। उसके लिए भारतवासी श्रीमान् दाता के सरप शिक्षा-सम्पम्धी यिपर्यों में उद्योग-धन्धे की शिक्षा प्रणी रहेंगे। माशा. प्रम फाशी-विदयविद्यालय प्रचार क्षेना परमायश्यक है, क्योंकि यिना ऐसी इस शुटि को पूरा करने का यस फरेगा। शिक्षा के दम स्यदेश में अनेक ऐसी पस्तुपी के मानसिक शिक्षा के साथ शारीरिक शिक्षा देना प्रमाय की पूर्ति नहीं कर सकते जिनका व्ययदार मी पद्धत अरूरी है। इससे शारीरिक शक्ति के मति दिन हमें करना पड़ता है। अन्य देशो से हम साथ साथ मानसिक शक्ति की मी वृद्धि होती है फो यस सी चीज़ मिलती है। उनको पाने के लिए पार लड़के-लड़कियों को शिक्षा-प्राप्ति में मुगमता दम सदा दूसरे देश का मुंद तावा करते हैं। छाती है। इससे हमको प्रमुविधा हो नहीं देती, किन्तु दमारे हर सम्प मनुष्य का यद मुण्य कम्प्यकि. देशापन मी समुद्र पार पदा करता है। यह लोगों में जागृति उत्पन्न करके यथाशपय शिक्षा उपोग-धन्धे की शिक्षा की वाटत मनुष्य का प्रचार करें। देश का काया-पलट तभी सम्भय अपने अनुभूत मान की वृद्धि से ऐसी चीजें प्रस्तुत हैजा घर घर शिक्षा पीर पिया का प्रारो । कर सकता है जिनकी जरूरत दर एहस्थ को प्रति महाराजा परादा का मत है कि प्रत्येक रासापा दिन रहती है। इस विषय में जर्मनी सबसे भागे पहला फर्ज यद कि प्रजा में शिक्षा का प्रचार पड़ा हुमा है। स मी इसी कोशिश में है कि करे । इस कार्य की सिटि के लिए मदारामा उसके यह फेकला-शस की उरोघर परिक्षा साहय मे जो कुछ अपने राज्य में किया है पद किसी प्रास्ट्रिया भी पीछे नहीं। इटली में पिसने ही ऐसे से छिपा नहीं। परोदा में सनी लियोप्रति धार विद्यालय है जिनमें हार इसी विषय की शिक्षा पावे इतने मुधार हुए हैं कि यद राज्य पारे लिए ६।गता में भी पत से पैसे एकल पार कारेग ममूना गया है। ६ जदो सेोगेको दस्तकारी की अमली शिक्षा दी किसी भी देश की मापी उपति उसके सायं. जाती है। प्रमेरिका की तो पात दी निराली है। अनेक पिपा प्रचार पर ही अपमिस है। पिना पदो की दर रियासत में कम से कम एक ऐमा पिपासपी सूर्य के प्रयास के जातीय न्यारका पालेम प्रयाय सहा गोंका पायोगिक शिक्षा दूर ना सम्मप ६। मारतपासी उपरिकी दी जाती है । यदता प्रायः सभी पदिरो मनुप्प में सव पीछे क्यों पीलिए रिपदा जानते कि पयास दी पर में जापान की काया सायंसता शिक्षा को पम पमी है। मामातिए परर गई।पासकल जापान सभ्यशो सुधार भी शिक्षा पर दी अपमितासमोर में गिना जाता है। यह को इसी लिए हिजर को पान, पर पर मांगों पर पान म जारात पा पान अपने देश में पान र पररा । मम्प में महात्मा पलानीस पढ़ाने की जरप हम उन मोगी पहे. माम सम्मे परमे पाद आया। न Gm