पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/५२१

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. . सरस्वती। .. सममा समात तो यही कमान और रोमवार मे क्या-ौरान और विज्ञान की याद मारवर्ष मे दी पक यास सीबी।मी की पि-सामग्री के पक्षाब की सीमा को पार करके पेपेल प्याक पापार पर इन्होंने अपने साहित्य पुट किपा । एफ और गपे कि समय पश्रिमीय एशिया धीर मोरप में 1 पमिमीय मिशन (Mor-iPur Delixr) मिलने कि वही पे देख पाने लगे।.. ....... भास में इसारों वर्ष पाते जो सम्पना फैस सी पी उस चीन, प्रशान्त महासागर के शोप, मिया काममा हमारे चारों तरफ निरन्तर विद्यमान है। पर पी- शिपिया, जर्मनी, मेट-मिटिम, ईराना .पू मणास देश-देशाम्सग में व्याप्त हो सा.पा भमरीका प्रतीका, घरी पूर्व-सव' देश, शिरा पौर योरप में सर्वत्र दो दिपाई रे रहा है। पापही मम्पता अमरीका प्रादि देशों में विभा धीर .. । है जिसका जन्म स्थान पविध गासट। प्राप्त की । इममें से चमेक देशों के बी-मागे मारन इतिहास में मदामामत का पुरको पर्व बिन्दुओं के पुरानी से बी गई मदीत होती। पटना है।पापुर कलियुगरे भारि में, प्रांत ईमा बोई स र वासटर रेसे (Sit Wilter Ralrigd १... परमेहुमा मा । या युम क्या तुमा भारत कि दिम्दुम्सम में ही सबसे पहले मनुष्य जाति में सम्पना, उस गारम भार पके ऐश्वर्य पर पनपात हुमा। रिया-पाई मनुष्य-जाति का प्रादिम सम-रमान इस महामारत में मारत के मा पराक्रमी. अनाम माति में अपनी प्रतिमा थारम्म मोबी सेलिए पिचापिशायर पेदा ही नहीं मारे गपे, पस प्रमाफ्शामिनी शाति मध्य एशिया में निरखकर । सम्पता और महितीपमा-कोशोभी, जो हमारे पर्षों पन मसाप मासूम होता क्योकि गति। पिराम परिभ्रम पार कष्ट से मात दुपा था, पापा विधा चीम और भारत में इस समय व एक प्रकार से उसका तो बारा ही हो गया । ईश्वर की विद्यापीकापशमका माग्मिक विकास एफा ऐसी ही थी। मनुष्य का या मामप्पं किया ऐमी बोगों का पाएमा पाप-नाति मध्य परि पटना को रोक सके। इस पुर में भनेकानेक बीर, मा में ही पहबरम माना पाकि। परामपुरम्पर विधान मारे गये। गुत सी जातियां काम में ई ट सम्मता-सम्पा जाति । सोपोर र अन्य देश को पत्री पई। मारव भारत और चीन साहित्य में उसी काममा की सभ्यता, कमा-मग भार पवमानारप को भी अपनरोपोश मिल न अति भी। साप से गई। हम इस देश की प्रतुम हानि हुई । परन्तु पीनिपो रानि के भी पाये होगा। हरयानापमाम मा । पेफि इन्दी सारा पता मही पगास प्रतिरिक्त इस बास बजरंगी गवती पूदिई । पारमाम के एक मेगा सम्ममा साहित्य, कवि Paricket में अपनी पर पुन ( India in विधा पार समीक्षा गा पीर यमुनामा Greece) में विधामसर में भारतीय पुरसा परी पूर्व विकास को प्राईवर पर कई दूसरी परना हुई रोजिमका ऐसा मपान की पम्पा में ओमवि की मी भारत परिणाम मा दो। इस परमारे कारण प्रषित पारत- मरात पर पिचार पने से मालूम होता। पापी म मरर मे गपे । पिदेश से बारे मम्म पशिया से मिलकर देश-पेशाम्ना पानी में ऐसे मनुप्प पे ये पाचीन सम्ममा शिवीय पर मारतही से प्रार्म जाति, " सामाजिरी ऐमें भी ये णे शमा गणतो में मेरे पिषप में . पिपा में मिसान। रचा में पे दिमाश-पर्वत से भी मोसम्मनिर्शाते हिमा पारोप गपे। रविण में बस में सबसे पौर पश्मि में मान मन्य एपिराग माविकान, मिलने गरे। सीबोगों में पत्रिम में सम्यता, स्प सका पति-पाय ad...