पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/५३९

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३८ - सरस्यठी। . . . . . ... [माग ७.. माया देखा जाता है कि मनुप्प की सांसारिफ उस पर नास्तिकता या प्रपोयरम का दोष पात अपस्या पदल जाने पर, जिसीम किसी समय, दिया गया। फस पद दोता था कि उसे न उस दिनमानात सी तरह मासि, समाम. पण भोगना पड़ता पारिसने ही मनुष्यरत पंदा या मुपण्ड भी कमी कमी नीचे गिर माता- प्रपने म्याधीन मायो प्रयपा रिचा का प्रति . प्रपनति की काल-कोटरी में पन्द हो जाता है । यह परने के कारण ही शीतं असा प गरें। पुगेर पात समी देश के इतिहास में पाई जाती है। एक इतिदास में तो ऐसे उपाधरण पग पग पर मिहो समय यूरोप का भी यही हाल था। यह समामा ६ारीरिमर, रिले, कोपर्निकस, गहिमियों तदा प्रब पंचगुग ( Dark Age ) पाइलाता है। अन्यान्य स्पाचीम-विचार-मपर्तक के माम rate, रस समय ययेप पर प्रपिया पौर प्रयनति का तो सिए नये महीं। सभी मानने hिa पदा मारी परदा पड़ा हुआ था । साहित्य, दर्शन, अपने मन को अपने सम्चे अनुभव तथा प्रालि यिशाम, फला-काशल प्रादि समी फल प्रयनसि. फार के फलो को-जन-साधारण में प्रकटने । मागर में निमग्न था। कोई पारसी पर धार समय पं.कारण दी किसी को कारावास भोगना परमो : मे पलटा पाया। इसी पलटे का माम रेनेसाम्स को फांसी पर मटफ जामा पड़ा और किसी ( Rennistance) या पुनस्रयान । प्रत्य मफार फप्ट सहने पर पेश की, जानिरी पुनस्थान के साप पिपा के पुनरमपन (Rer ममम समपेत शकि गे जब तक हम लाभार ral of Learning) का ऐना पनिष्ठ सम्पन्ध कि. केविर सिर नहीं उठाया तब तक गरोप पनि दम एक फा विचार फरने लगते है तो दूसरे के पोर प्रसार में पड़ा रहा। का भी करमा दी पड़तास सिपा एक पर भारत की प्रयमति मिन भिकारस भी पस्तु जिस पर पिमार काना भापश्पर होता गिमात मायांकार पद माह पेठो कि प्राचीन है।पह, पुमर्गठम ( Reformation) यह हम समय में अन्य पणी पर माह्मणे भर जा कर दामों का फस-मयरूप प्रर्यात पुनगरपान र प्रभुम्य था पर भी हमारी प्रपनति पाएका पिपोप्रति की अन्तिम पयस्था पुनर्गटन।दा पो ापत जराही गौर करने से स्पर प्रतीत '. दिए कि पुनश्पाम पार पिपोप्रतिरोने पर पुनर्गः जाठा है कि यह पात सप नहीं । माना ! उनका पारमा वा । मतपय पुनपान मापदतर शानियों से लिप थेद परमा मना है। साप दीन योगी पिपपी का भी विचार करना माग स्पर्म को था तथा अन्य जातियों के पदया है। गीपा कमाते माप पख एक मा सामान इतिहास की सामाचमा से पद पात दाता म्यम कोर पर ऐमी और भवन सी गति नि.मातीपापनावि तीन मुख्य कारण पारने विपके द्वारा पेसोगों को उनी प्रवर रे -पहला पचीमता या दारा, हमरा दासीनता, सको पे पान पर वह अनावरा तीसगजाद-दीनतागामे,मायगुग (Sitile म यप माने गये। AYER), पैमम लिकपमा पनेरुयाापस म्यागे मागसानि भीमा प्रपन गई ममात पर माम.Tी पार पागप में पदोपदी रोटेसी पोरम पram पायेगी गे ससके एनुपारी थे। पतपप गा दणग का पद किमी पीना में भी पर्म गर म मिट मममप भी तो कीरिक पी। मगनमा