। संप्या १] मिस्टर दादामाई नौरोजी। माई, कामा कम्पनी ही के सेयक नहीं रहे, साथ पार पालमिसरी कमिटी में,जो हिन्दुस्तान की मार्थिक दी भाप देश की भी सेवा करते रहे। पापने लन्दन दशा पर विचार करने के लिए बनाई गई थी पार इन्डियन पसमियेशन, ईस्ट इन्डिया एसोसियेशन जिसके अन्पक्ष प्रत्सिर प्रर्यशारमयेचा फार्सट सादय प्रादि समायें स्थापित की, जिसके द्वारा देश का थे, हिन्दुस्तान की प्राधिक दशा पर अपनी सम्मनि किसनादी उपफार दुमा पार हो रहा है। दोनों दी। इस सम्मति द्वारा प्राप में अच्छी तरह प्रपट समायें प्रमी तक जीवित हैं। सम्बन के यूनीयर. कर दिया कि हिन्दुस्तान घस्तुतः पहुत गरीय देश , मिटी कालेज में पाप गुमरांती भाषा के अध्यापक है। दिसाय लगा कर भाप ने बतलाया कि प्रत्येक नियुक्त हुए पार सीनेट के मेम्पर भी रहे। सिया मारतयासी की प्रासत यार्पिक मामदनी २० इसके याप्यानी पारले दशरा पाप भारत की सेया से अधिक नहीं है। फिर भी प्रत्येफ मनुष्य को फरते रहे। यिलायतयासियों को तभी से मालूम पासत ३) यार्पिक टैक्स देना पड़ता है। इस कारण होने लगा कि मारखयर्प कोन देश है। पिलायत में एंगलोमान्टियन प्रखबारी मे यदा कानादल मचाया, रह कर दादाभाई ने अपने मालिकों का कार्य पड़ी जिसका अाप ने समाचारपत्रों द्वारा मुंहतोड़ कुशलता और सचाई से किया । इसमें उनकी उत्तर दिया । अन्त को प्राप की सम्मति बहुतांश कीर्सि पार भी पदने भगी। इतने में एक मित्र पर में ला रिपन के म्यमानसी, सर पिलिन पयरिंग प्रापत्ति पाई। उम्पाप मे प्रार्थिक सहायता दी, साहप ने, स्वीकार करनी। जिसका मतीजा यह हुमा कि खुद अपनी दी दूकाम यरीदे के दीवान । में तीन लाख का घाटा पाया। पर भाप के स्वामी इस पर जरा भी नाराज़ न हुए। कुछ मित्रों की सन् १८७४ सयों में प्राप पिलायस संसाट सहायता पाय माप रस घाटे को पूरा करके, सन् माये । उस समय परीदारान्य के स्वामी मल्हारराष १८५९ सयो में, १२ यर्य पिष्टायस रह कर, घई गायफयाद ये, जो पीछे से गदी में अलग कर दिये लोट पाये । पम्या पाली में पाप का ध स्थागत गये थे । परीक्षा राज्य में उस समय यही गाय, किया। सर फोपमशाद मेहता मे, मो उसी साल पी। मतदाररायता बिगड़ी तबीयन के प्रादमी परिसरी पास कर पर पाये थे, इस स्थागत में पहुत ही, उनके रजीडेन्ट भी कुछ कम न थे। अपनो । • उत्साह दिलाया। पम्या-निवासियों में प्राप को ही चलाना यादन थे। रामा पार रीटेन्ट में मध एक मानपत्र दिया पार भारतवर्ष की सेवा की याद- पटपट हुमा करती थी। दूसरी पार पनेर रिया- गार में ३० सहन मुदा की धली नजर की। पर मापने सती पड़े मय एं थे। पुलिस की दशा प्रती उसमें से एक काही मी मम्मी । सम रकम परोपकारी म थी । सम्पूर्ण गस्य में प्रशास्ति थी । पा. भाग्य में कामो में माप में लगा दी। इतने पर भी पपई पाले उमे ऐमा योयान मिला मिमने थोड़े ही समय में मन्तुए न दुर। अपनी अधिक प्रममता प्रकट करने के अपनी पुरि, विद्या सथा माहम मे पुट दुरापी लिए उनकी ८००० म्यागत की एफ. ससपीर मे को जड़ में मार दिया । ममामा पदमा दिपाज फामंजी फायस नीदरम्टोबशन का यिभूपित किया। यगया राम्य म्पाय. यिपा-प्रचार, सामाजिक मुधार गरी विलायत-यात्रा। इत्यादि में ममी रियामती में बढ़ा चढ़ा है। परन्तु प्रो परमी में मदेय पिन्न उपस्थित दुपा करने । सन् १८७२ ईसयी में पाप फिर पिलायत गप पतपय दादामा की पान म्यारों पर शाम