पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/५४०

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सया ५] भारत का पुनस्त्यान। पादशा के शासनकाल में भी हिन्दू राजामों को स्याधीन समन, शचिमान् समहापौर मनुष्य के उपदेश मापण ही ये । पीरता में क्षत्रिय चिर. मात्र की मला के लिए, उसके मुभीत के लिए, प्रमिर है सहो, परतु इनकी नियुक्ति करने पाने उसके सुसलिए, उसकी उन्नति के लिए, ससकी अधिकांश मार दी थे । मुससमामी के रासव पान-गृद्धि के लिए, उराफी शचिदि के लिए में हिन्दू-माति परायीम थी सही, परन्तु हिन्दः प्रपने हाय-पैरों पीर मस्सिक का पया-सम्मप प. प्रतिमा रस समय भी गारय-गिरि पर विद्यमान योग फर। थी । पादशादी के दरबार में दिन-यशानों का ऐसे भाषो को मनुष्य-भाप (Ilumanian) पैसा दो प्रादर होता था जैसा कि.मुससमामों का। पहना चाहिए । पुनस्थान के मूळ मैमानुप्य भाप का इमाए प्रपापतन तो इसके पीछे दुमा । मा प्रत्यम्त यापपा-पत् जहाँ मनुष्य-भाप अप:पतन का दूसरा कारण है पदासीनता। महाँ यहा पुनगरपान की पाशा फरमा परे अन्धयुग में तो मनुष्य एक प्रकार मिया-शोल मी सोंग पाने की प्राशा परना है। भगवान की कृपा घे। धर्मोग्माद ग्नमें लमालय मरा हुमा था। सड़ने से प्रर्यनत जाति जय इस गानुप्य माप की प्रेरणा मे के लिए ये सर्पदा तैयार रहते थे। पनो युर- सचेत होती है तभी उसकी उदासीनता र दाती सम्पाभी परसाह पर तो सिसने ही माटफ, कितने है। तभी उसी आगृति का-उस पुमपान दी उपन्यास, कितनी ही कवितायें लिपी गां है। फा-सूत्रपात दाता है। अन्यथा महा। इस विषय में तो उन्होंने पदुत कुछ उम्नति कर मी प्रयनति या पयःपतन का तीसरा कारण- थी । परन्तु मिस सांसारिक उन्नति से मनुष्यः उत्साह-हीनता । जहा उत्साह मही पदो कप.. जाति का पत्याय समझा जाता उसकी प्रायदए- पालन भी नदी पार जदा कार्यप्य-पालन नहीं यदा पता ने उनके वित्त में स्थान ही म पाया। प्रघापतन हुए बिना मदीपताइसके विपरीत- सुप दो प्रकार का है। एसोसारिफ, पूसरा सोत्सादस्य हि लोफेगु म रिश्चिदपि दुपारम्-पा पास्यारिमक । जो माध्यारिमप सुख पादया है उसके धूप सत्य है । देगिर, इयारी पिन-यापामों का लिए सांसारिक दान-साम कोई पीस महाँ । पर सामना करफे गैलिलिया में मिलादी कर दिया कि जो पुण् करता है सब परमार्थ केटिए । उसके सूर्ण प्रपल है पार या उसके पारों ओर एमवी लिए यह सब कुछ करगे को तैयार रहता है । पर• गुरात गे महर का प्यासा पी लिया, पर पपने मार्य के लिए पर युर पर ममता-पपा, युरोप स्यापोन मनी का प्रचार करना मोमासरसे के धर्म-युट ( Cnuacles), हत्या कर सकता है- पहले मिसने पानी को यागिक पदार्म (Connound पपा, तान्त्रिक पार पापालिकों की मरपाल पार पशु- uter) सिद्ध किया होगा उसे भी मन पक्षका पनि, और भी विटने ही पुपर्म पर माता- समर्थन करने में बहुत पर उठाना पड़ा दोगा। जान पपा, पाम-मागियों की साधन पनि । पक्षातर ऐसली, मार्टिन स्पर पादि मनु को भी पपमा में सा मनुष्य सांसारिक मुनपा प्रमिला पद धर्म-यिभ्यारा प्रयलित फरने में स्निगे दी पता करने पह ममझता है कि मैं संसार में पोर हारिनो पोदामे पर धनराधार पनि तर निए पापा है-मरा-पूर्पक ने लिए माया ऐन्दगादी पाने मी पिरोपी । कारण प्रतपस मेप कप्प कि स्पोको ता रेम्गासी पटाने पं. पक्षपातियों की मी लिनी गोमुप पपा । मुझे पादिर में अपने पदामों पा भामना करना पड़ा देगा।