पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/५७४

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      • इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तः

सीतावनवाम । पावे नहा विधी रिहाय ना पहला में पैसा नरिया या नाटप मापदादी मनोहर महिर पपिरषद विपासागर रिजित या हिन्दी में लिखा गया है। कारय यर एवं 'मोतार-पनषाप" नाम पुता का पद दिदी नीतकालिदास रामा प्रम में पनपाद "सीतापनयास" पर तैयारम पुस्तक में भीरामपदमी त गर्भवती भीतायी मनुपारित किया है। पीजिए.खिए ताप परिवाग की विस्तारपूर्षदफपा पदीदीपक पौर में प्रेमा भनुपम प्रान ग्रामन्य ) फरणात गरी मारा में निखी गई। इसे पर मन फर पांटों के मामुपदी चारा ने भगठी युगलांगुतीय । . ६ पार पागवाय मी मोम सी तर भीमती माता । मन्य। गारफीट। पारि इम पुरला में अमरीका पर प्रति ली. बंगासिय ग्पसार रकम बापू पर “मन पपरम गारपीस" का जीवनपरित नान से समी शिस्नि फीतियों या गया। गारपीट मे एक सारय माग परमात ROHTA पयाल का ग रम पर दम सेकर, सपने मशार, साता दर दी-परमार पर पार पचामा पसारय, प्रमरीमा प्रेसीरेंट फा नपोष

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