पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/६०३

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30 इंडियन प्रेस, प्रयाग कीः, सर्वोत्तम पुस्तकें युगलांगुलीय । पारस्योपन्यास । भपात दो अंगूठियां . मिन्होंने "भारम्योपन्यास" की कहाविद मंगला के प्रसिद्ध उपन्यास-लेखफ पंकिम मापू फे पदो, हैं उन्हें यह पवळाने की मापरयकवा नहीं परमोचम और शिक्षामनक उपन्यास फा यह सरल पारस्योपन्यास की कहानियां कैसी मनोरमक और हिन्दी-अनुवाद है। यह उपन्यास क्या मी, स्या प्रद्भुत हैं.। उपन्यास-प्रेमियों को एक बार परम पुरुप समी के पढ़ने और मनन करने पोग्य । उपन्यास भी अवश्य पढ़ना पाहिए । मूत्य.. मूल्य ) वन-कुसुम ।। धोखे की टही। मूल्य । मूल्य - इस छोटी सी पुस्तक में छ: कहानियों द्वापी इस उपन्यास में पक मनाथ लड़के की नेक है। कहानियां पड़ी रोपक है। कोई कोई वो ये मीयपी और नेकपलनी और एक सनाय पारफि पढ़ते समय सी माये बिना नहीं रहती । ' पनाढ्य सरके की मदनीयसी और बदचलनी का फोटो सींपा गया है । हमारे भारतीय नवयुपक समाज।. . इसके पढ़ने से पास कुछ सुपर सकते हैं, बहुत मिस्टरमार० मी० दस सिस्पिस मंगला उपमा कुछ शिक्षा प्रदण कर सकते हैं। का हिन्दी-अनुवाद यात दी सरज्ञ मामा में किस मिस्टर भार० सी० दत्च-लिखित . गया है। पुस्तक पहे महत्व फी है । यह सामागि महाराष्ट्र-जीवन-प्रभात। उपन्यास समी हिन्दी माननेवालों के परे कार र ६। एक पार पर कर भमरय देखिए.। मूस्य ) हिन्दी अनुवाद छप कर तैयार हो गया। इसमें पतिव्रता ।' ' महाराष्ट्रपीर शिवामी की पीरतापूर्ण ऐतिहासिक मामकस स्त्री-पाठ्य पुस्तकों की अधिक भारत कमायें लिपी गई है। मूस्य ) कवा देख कर हमने 'पटियवा' नाम की एक पुस मिस्टर भार० सी० पच-लिखिम धाप कर प्रकाशित की है । इस पुरतक में सवी राजपूत-जीवन-सन्ध्या । सुनीति, गान्धारी, साविधी, दमपन्दी और या का मी भनुषाद सैयार हो गया । इसमें राम- न्तला-इन छ: पवियवानों का परित बिता पूर्वो की वीरता कूट कूट कर भरी है। पर, साय गया है। इसकी मापापड़ी सरल और सरा ।। दीरामपूों के बीरता-पूर्ण जीवन की सन्ध्या के इसकी पर्यन-ौली पड़ी दी मनोहर ! भारत वर्षन को परकर मापको दो पास जहर बहाने प्रत्येक हिन्दी पढ़ी-लिनी नारी को पार पनि परेंगे। पपन्यास पदमे पोग्य है । मूल्य ॥ . अपश्य पानी पादिए । मूस्य . . . . . .. पुस्तक मिसने का पता-मेनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग ।