पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/६१५

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२६६ मरसती। . . . . 1 माग . माझ की धार जैसी मूर्तियां- मक वैसी पार मापा स्मृतिपा। पन्य परारम-प्रमः पुग्योकर, म्य भगवामि भारवर है॥ देस सो, सामंत नगरी है पही- सर्ग से मिलने गाय में गा रही। मा-पट महब-सारा , मम्फस पर प्रमा-ग सार। पप्ठ, मुम्बर और विस्तृत गृह पने, इन्द्रपनुपराकार तेरव तने। ऐव-सम्पसि प्रदेश सराहते , पता कर विश्राम करना चाहते है वर्ना र पिविध शाखायें बड़ीं, चार बिग्रिन दिप्य दीवारें पड़ी। पापुदीजो सपं मामा सरे, पनि क्या मो मम्य साहस पा सके। फूल-माल कर, सम, मोहमी- दीर्घ पो पर विविध पे ही। पार-कम्मा मएम-स्तूप कम- परिपती पी से भूप पर। हा-पत्ते गाणे में दे, प्रकृति से दी मे गये मानो गई। दामिनी मीतर दमकती कमी, प्रमावासी घमातीम्मी ॥ पदा मम्म, पोतो- प्रेम मार्ग पारात पचे। मारणासायगियी, चित्र में मानो धपापा १ मिनीत समाय-सा पाश पासपर. पंग पोप ने वर्मा, लिपप गिराये पर दोषी ये बानु पर- पचे विगविगी सरी- "म! मालमेर पामाय. पाने, सिने, पE" कामरूपी पारिपितासे, इम की अमरावती मिसे.. पर भूप-सौष गमल-स्पर्य _शिवप-कराम पाम भार। भवनि पार की परपीदिपा- शेन हो, सुरखो तब सारी। राति हो, साबन्द गते आइए, -: पत्र में अमरेन्द्र से मिजमाए : और-प्रमों पर प्रथी विri. । ठीक से पैसे हैं। .. मायु की गति गाम देती है , - - ___यांमुरी की अनदेवी गरे। '. और गैर अनेक भवा-यूप, ... . माम्मे-पौधति-निदर्शन-स। रामयों की इम्म-मैग्री गरे-.. . 'वैदियों साप सासी-सेलो. मतिमय, विवरण समेत गरे उमे, ऐतिहासिक पर मिममें सरें। . पन सप्र विशाल विषय-सम्म रपते पानी का पम्म सर्य की तुममा पित ही पहा, . मित पैतालीमसाएमा या मरों से पार मात्र ग्वारती, पर यहीं से जीबिलों को पता ! मारग पुरानाभी - - यसमीर में मधुमे। . दीमते नमे विचिन्न .. : पेरिम-राम ने ' पनी सान मामी नागरी... " पौर सावित भाव से माय भी। प्रेमी प्रपर पाबाकी . व्य-मामा-मासी तर पारि -मन्दिर मोह . . । माम माग समे मारे। • प्राप्त पासी समीन . . मनिािमरिने । ममना गरे।