पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/६२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सरस्वती। भूमिका सर्गर माघी मुली मने हो माग्य पी वापा पुली। नियमिस नेवपिदों के लिए- भाप माइन-पास मापा पी सिमें दुग-सम्मत निरोपमोगा, पा ममा मगप बना बिम्नत पाई। माघरों में मम्मु मुत्य ये पुरे मांग में जिस भांति बाते हे. में मम्भ में बन पाप प्रमो में चित्र अप-गुरु सूर्य के। नानी पी शार-पर अप-मुस्तुमी, भार मारी मारित समय परम्ने वत में सही गुप्स में, सामने निकले पमर भी इक पे। पपपुशीम परासन पे पद पर ये पापम्प पवार बीप में पाप सिंहासन बमा, पत्र पर पितामस पर पाना । नामी पदित परे गम, पर रासमी और शासप्राम || मा सभामर मिटनम-निए, पाने पमिस पार बशिए। मनिक ये पुररामयमति भो म पाम मानी मार-मार हा पुणे। परमती की विधि मणिगी प्रभा, म्योगिप से जगमगातीची समा । मुर-मना-ग सिमाधा- मनीमा पक्षा मुर पनी भी सौमित्रो • देशि निमे। पसी प्रेम में- मुमत मोनिय में परा: प र मुप भूर भगा? भvigin पर- मेर पार्ने प्रया-मामा ." र बड़ा कर, मोमिन-सा पा विजा-' मुसमाई पार पोको सर्मका-.. "मल गरमरियमवोरमा, रकमाएर मेरा तोहा:" बरन मुन सीमिन पम्मित रोग, . , प्रेम सागर में निरिणत गये। पाप्रसरसा मिपा रही। मा भित्रि से प्री- " भी गगमा तु भाती नहीं, श्रीक भी है, ब वर्ग पानी मानी। समग इस भया में सदा . . मिलमा मांगासदा मिसमै ! पर प्रि मेरा " गर्मिमा पोको -"म ने दो पौर परेका वर्ग समारो- .. ' सोपारा नित्र भी सपा !" "और यो मा?" गिरा कि , . लो पर भार मैंगीका.. र शर्मियोmart, . . . प्रार्म में पात. म्पोनि-मी मीमित्र मम्मुख जगी मित्र पर पर पैनी मनी। बपपयों को दिया । ममत्र पर मामे होई. मापदी सापिगमन लिगे, .. अगिपरे। मार मापा स्वेद मी मकापसा पूर्व भी पारमा मन शिस्नमा म हो uti.मी मागे मरा । एस पी रेग-मासी . ' ' पारगमा स मॉमित्र मागे में मरे, .. सम्मिंगnnai पिमाAHI - tr: muमारnin: