पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/६३१

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सरस्वती। . . [ माग "मायपुर, मेरे. प्रा पिछली मूर्या से कुछ रोपा एप पताविमा मीना शेता शिथिल से दगा।भापपय मुसे सहारा" पामोदाम्पमतः पाममारमामियोपुर पर गजा में उसकी और पीठ फर दी। यह फिर भी रानी पसा के पीछे दाtaram देप फर पनी माला उटी पोर. पाली पर न पड़ी। यह हर प्रयर में उसे मन । __"माप्यपुष । यद पया, भापमं पीठ को अपनी पर अनुरक करमे म्हगी। पर, फरही"! नितान्त पिशान पर पेदाम्तमर्प बातें काम रामा मे कहा--"पपरमगोयान पराठमवा"! तय रामो ने रामकुमार को सपने पास बुलासा सप तो रानी मामा कर पाती-"मेरे घरीर उसे रामा के पास ले गई। पद कहने मारे का स्पर्श परमा भी पाप नदी घाइते। फिरसे प्राप राज-पाट पार पिरकार पनगा परामुरा महा"! हैं तो इस पापयरफ कुमार की मीन राम रामा में कक्षा- इस पर राजा मे पान मार से गोर प्रिमाये मपि मानी प्रान रिपुमने निफ्तमः ।। उसे धीररा बैंधाया | प्रत में उममे पान-: मनिभामा गारमामरमाणमामीहे। गिवं रुपमा प्रति-मेरे मरने से प्रापय माग-माश होता पारस्य नापि हिदि विदित्वा समचाविना । : है। मतपप में प्रजपमराने की प्ण रसता है। पेनामी AT ममी मी में सोचा कि राजा मुझसे प्रपर दाना मन्त्री में फिर भी भारता है, इसलिए पैसा कह रहा है। इससे कोई हमार की मोरगा । उपाप ऐसा करना चाहिए जिससे यह प्रपना इट। स्याम प्रारए कराकर पल कर कामुक सादाइसलिए प्रोपरी मृति बना कर, रामा प्रपने निरनय से जरा मीम दिया। पोला- स्वाती पाणी से पटाश परती, पर राज्ञा समानमारमा प्रमुगुण! . पीपार गुरने सगी ।म पर रामागे कहा- प्रापामगर मांगा कि परतावामनाया . अन्त में गजा में यह परमार लेकरमपरिवाया। भरती को मुनापर- पमिति निमामी. Puri माप वा चिनियासिमिति air.. गरिमा मिलमा पान-मोबास-फूट के महा-कटामा मिना धिपःentr: में तो मेरे गित को पगार मेदाम्पगार में मामगार मेगा. Proहै। सादा गोगानाय माग गगा पम्प र कागे लिए रानी में उठे-"शापु पाम " कर मन्नास मेर पेरा .परम पर भी साम महत देव पर मनामे "जगताप सच में गया परकर पर मेरिण- पारी और मरेगा । प्रार Ramfuism , सापालिका artem Tam- रोने-"ग, माthr RTE