पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/६६

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संख्या १] गृह-शासन। पार अपनी महानुभूति से गर्ने प्रमिश भी कर देना गर्ने किमी प्रकार का कर या पामि पदी पाती। शाहिए। यदि गासामी की पास हो कि रसा इसके साथ ये पह भी मान देते कि पपीपात रने मंगरयो से अपने कुटुम्पियों को अपने ऊपर पानी को मी किमी प्रकार की हानि नहीं पहुँची। चास पर कराना चाहिए। पर मय दिप्ता कर ग चाईजो प्रथं मामा सय, पर गृा-सामी र परम मावस्यीय नहीं बना सकता। क्या पर ठीक नहीं है धम्म है कि पर पेपा प्रत्येक पान का निरीक्षण करे। फि लुम्बियों की अधिक मू देवख गर-स्वामी के मप रमे मा भी सहोप म करना चाहिए। अपनी मपी सम्मति केही कारण देखी ! क्या या क नहीं है कि स्पट रीति से कर मा उसके लिए पहुत भावरपक है। मुहम्मी पापा अपनी मर्म-सिद्धि के लिए ही भोलेबाड़ी इस बात में पारा भी रिपामा मकरे। अपने म्परहार प्रमाप्रप मेते। में जितनी अधिक सपता पीर परता से पामगा, । प्रमेक बार सामियों को शिकायत मुमी साठी रतना ही इसके लिए अप्पा रोगा। फिमी पात किन फुटम्पी मका विधासमहीमते। परन्तु या अमदेवी सी करके यम रेमा मोगों को प्रम में शासना "भूप पाते कि अधीन में अपने अधिकारी पर विश्वास है। मग सन्देश में पड़ जाते कि मी प्रसार के पम्प स्मा कितना कठिन काम है। मधोनत्य प्यपि तो पिमा प्रो सम्बन्ध में मविन्यत् में म गाने उसकी कमी "भपने स्वामी सदानमतिको माया बिपे ऐसा करने सम्मति से। पदि पर अपने इस प्रकार के प्यार पर तकी हिम्मत यी कठिनाई से कर सकता है। ग्रा-मामी विचार को दो से पवरप पहात हात दो मापगी कि को यात स्मरण रखनी चाहिए कि उसपरों की रसने इस धमदेने कार्य विषप में प्रमी तक यही निधित पिधिक सम्पा बसो मतं मापरयो म्पत करती है। महीं किया किया अनुचित या पितबा समझ संता । परि गु-स्वामी अपने पर अपने अधीन म्पनियोंकि हम प्रकार की ग्र-वन में प्प कोन पो भार बिपासनसमा सतो ममम मा चाहिए कि शसका मुफ्त में अपने दिमाग को पीर परेशाम करे। पर, रसमा । म मति घधिक अनुराग मारी है। पैसा म्पबार प्रसपपूर्ण समापाडी मात्र है। । मिमने ग-पर्म के पर पिधार किया समदी मुल पार सतना पभोग का अपमए गृr. सर जामता फिगृह-शासन की प्रतिहा म्याप पी वेदी सामी अपने ऋम्पिो को निमारे गतमा अपरंपस ' पर है। प्रतएप ग्रा-मामी को सपा म्यापमा क्षेगा से रे। मुख केसपमोग के लिए पर उन्हें सादिनको नारिए । परम्त पर सम्मपक म्सने इसका पार सपं मी इनके साथ उनके मुग में सम्मिwिal अनुमान ही फिया है। कि म्याप पप से सामी इसके बिस्द पदि राम रोख-स में शीत दो, 'परने से पी मी दानियों और पुराहो का साममा परमा रनमी प्रमाता सेयर सरानुभूमिम, तर भाशा पमा पारप बीमिए पितोगमा करते सम्मा ६कि समरे कुटुम्पी रम पर मियाममंगे। किपारी दोटीपापपीती। ऐसी बात पदमसे के किनाप बरमता समय वे देषी अमरेपी पते पर मस पनप मचाई और पाप सिपी मया है। इस पणा में

मुख्य प पदो साता कि किमी सास दाती मीरे जाता रमझी सामुमति पा पागेका

पर प्यार का बहाना ते कई बार ही ना रसामवायं मरेमारीमा म किवाता पमती साप स्पों सीकर रिया बाप! समोहिम बास में समरेंगे किया पा अपने इमापसेरेमपा सापारप बातो में भी रोप जानता है रिन सिए पपा बामहापामा स्तमा का सम्मरते समा भर्प या मी तसा ही अमना पार म स त विपरीतारा किम बावरीम से स्पिध्ये निर्माप. राम मनोरपणे पानी में पेसामने । समपाता किमी स गुशिरारम्प नमामि पारा