पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/६८१

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४१४ सरस्वती। . [ माग १७ यह पेकाम हो माता है और उसकी गति रुक विश्वास करना परता है। कई साल पहले नों जाती है। किन्तु यदि रहँट सा कोई सरल हास्टर केरल ने तत्काल मरे हुए माण दी वेद यम विगा जाय तो उससे न तो झनझनाहट मे मांस का टुकड़ा काट कर उसे जीपित एपने , की पायाशी होगी पार म यह पात पिगड़ा का मयत किया था । उमका या प्रयक्ष अप सफम दुपा ही देना पड़ेगा। उप माणियों का शरीर भी हो गया है। उन्होंमे कुछ पोपधियों में मास. स्टीम इम्सिन के सहश जाटेल है। इसी कारण सपा पो रक्या । इससे यह सजीप होने के उसमें किसी वस्तु की कमी होते ही यह एकदम सदाग विमाने खगा।सब टापटर फेरल मे उस मास- गविदीम पार पिछत हो जाता है। शयेर के यार से कुए दुफ काट कर उनका पेट पमुमो " हर अधयय में रक्त का सम्मार होना जीवनलक्ष्य के फटे दुप शरीर पर लगाया । उम्हें इस कार्य में . का मुष्प प्रयलम्य है। रक्त का सञ्चार पन्द होते ही मी सफलता प्राप्त हुई। इस प्रापयर्पकारक, परीक्षा : प्रासी की मृत्यु हो जाती है। रक्त में पहती हुई के फल से पैशानिए संसार को विदित हो गया. सो छोटी छोटी लाल पाणकायें देन पड़ती है कि मिस येह को इम मृत समझते हैं शर्पर के सप मागो में पाक्सिजन ( अमृत यायु) बहुत सा पंथ मृत्यु का अनुमप करके भी कुछ पहुँचाती है। यदि रस में पाविसमन म हो समय तक जीयित रहता । वैज्ञानिधे मे मतो तो मागी की मृत्यु भानियाय है। प्राक्सिजन भ्यास के इस जीपन को- " Intrn-erollular Lifen केदाराशरीर के भीतर जाता।मतपयवासमा प्रोत्-कोप का सीपम-नाम दिया है। होसे होमाण की मृत्युदो भाती है। सदा में दर्शन- प्रापिफार वड़ा पाश्चर्य-अनक है किन्तु बाम में शारत्री यह कहते है कि प्रात्मा का पारीर-पजर रास्टर फेरस ने जो मान प्रायिफार किये। देमा दी मृत्यु है। पर शरीरशास्त्र के पानी के उनफा पिपरण पर भी प्राइमर्यकारमा । उन्होने कपन से मेस नहीं माता । शरीर के येणामी मे वो दिसाया है कि देव से पालग दोकर फेपल मामपर अनुसन्धाम द्वारा माण की समस्त इन्द्रियों पर ही जीयित मदी रातात्पिर प्रादि पिप पिरोप सममा प्रययों में प्राम्पपायु का पता लगाया है। प्रपपप भी देह में प्रसग कर के जीवित मधेगा इनके मत से मामी समस्त शरीर ही प्राणमय है। सकते हैं। ये सा अपयय जीवित प्रपस्या में कुण्दी दिन की बात है फ्रांस की एक यानिश में कर जिस प्रकार अपना अपमा-पर्य धरते. परिप (French Acatlemy of Medicine) में उसी प्रकार इस अवस्था में मी, पान देश में यहाँ के डाक्टर केरल ( Dr. Aletin Curred)ने पृथक पर दम पर भी करते हैं। प्राग कारिपट मृत्यु सम्पन्ध में जो दो घार मयोम पातें कही। धीरे धीरे मिलसा पार फैलता दुमा रेख में रह ये बड़ी ही रिस्म-जनक है।माम फल प्रामुत का साधार परता है। एफुस (फेमा । प्रमुत पानिमा माता की नमी महीं । प्रसपारी यायु मे मानिसमम प्रदा करता है और पिग्मय पन्ने रटतेही पनेर प्रामुक्त समाचार पपने को प्रारकचाप में बाहर निकालता है। पापाप मिरते है। किन्तु पूर्पोच सारर केरल एक मामी मायन्य भागम का मार प्रमा शरशासपेसा FIRtस की पपोत पसानिक उससे रख की पहाये माता पारपर्य की परिपा भी मंसार में पत प्रसिखामी कारण पाठमा पहमिपारीर* पेपर या पार दम प्रत्यु मम्मरप की इन मरीन पातों पर ममूह शरीर में प्रदा है। पर भी मापयामी *