पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/६९०

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संख्या ३] विविध विषय । रदेखिए ।पा की पगार मिमान अपने देश की दशा पाने पिका-सम्बन्धी सर्व का मो तलमीना गवर्नमेंट में से कीथिए । पापको प्राकारा-पापब का मन्तर रेख प्रकाशित किया म्समें कोई वीस पास रुपपे की कमी है। पारेगा । सन्ताप की बात है, मारत की कितनी ही रियासतें प्रात् -11 में मितना पर्व हुमा पारसकी प्रपा इस यात समयमे बगी। इसी से थे अपमे अपने राम्प 1 -10 में वीस मान रूपया कम सच किमा धायया । में पनिवार्य शिक्षा का प्रप पर रही। बादती है पस्तु पुलिस के पूर्व में कमी म होगी। इस सास समें कि प्रारम्भिक शिक्षा अनिवाम भी कर दी साप पीर मुन गत वर्ष की अपेक्षा प्रयरह बार से भी अधिक मा सर्च भी । करारे में मा एकप समय हुआ। इचार-राम्प किपा पामगा । पम्बई और बिहार के पूर्ण ग्रे पोरकर मे मी, अभी हाल में ही, इसम पर दिया है । माइ- और फेई सूपा ऐसा नहीं जिसमें इस मब में अधिक वर्ष सारनाम्प क्यों पीले राने गा पा तो अपने यहां प्रपया मदरसमीना न किया गया हो। विश्वविपासप भी प्रबग बोस हो । रसने अब एक सिपाही की पतीपत ममुप्प पावरप मुभरता कानून बना दिया है। उसके ससेसे व तक और शिवा ही की प्राति से ममुप्प को प्रषिक पुबऐपये पोस्ट्स मेममा प्रमिवाम्मे गे मापग्म । इस सम्र मी प्राप्त रेखा है। परन्तु शिपा सदाचार-पक और मर्म- पों के माता-पिता को समाई से प्राप ही मी होनी चाहिए । इस तरह की शिक्षा की मितनी ही मा भेना परेमा । म मेखने पर में वह दिया जायगा। अधिक पदि की साफसी, पुलिस की रखनी दी कम प्रावाय. मा मानून किमी एक मिसे पा परगने के लिए नहीं, सारे वा होरी । पदि शिक्षा और सदाचार चरम सीमा को रम्प के लिए है। अपराम्पो में भी, इसी तरह प्रारम्भिक पहुंच जाय तो फिर पुलिस रखने की प्रापरयम्सा दीन पड़े। शिक्षा अनिवार्य हो बानी चाहिए । बिना ऐसा कि पृथ्वी के पेट से निकला हुमा पाम्पियाई मगर । कापाय नहीं। रार देवप्रसाद सर्वाधिकारी, एम.ए., पम. एल.पी. +-पुलिस और शिक्षा का खर्च। माधा-विश्वविद्यालय के उपप्रधान। इतने ऊँचे पद सन माय की सा के लिए पुलिस की प्रावश्पकला पर पपिमित होने पर मी और अंगरेजी भाषा की विशेष है।परम्त इससे मी समप्रमाको शिपित करने की पारदर्शिता रखने पर भी प्राप अपनी मातृ-भापा पंगला भावस्पता। पुलिस इसी लिए एक्सी नाती किप से पृणा नहीं करते । मुस्लमर शिपा-सक्षिप्त में भाषण्ठ मान अपराधियों का पता लगावे, प्रमा को चोरों और गामी रहने वाले इमारी सरफ के पाठपये की मेथी के भाप नहीं। मादि से होने वाली हानियो से पथमे और सर्वसाधारण प्राप पास कई महीने में अंगमा के मासिक पत्र "भास्तव" के अमन-चैन में पडत गये पार विसाये। में अपनी विधापा-यात्रा का वर्णन प्रकाशित करा हे। विचार करने की बात है कि पे अपराध होते योन समें पाम्पिपाई मार पो.वर्णन मि पिवारसा समी बीमा भगिया, शिक्षा, दुराचार, प्रज्ञान, मूरता सारांश नीचे दिया जाता है- मावि परिोगी हो पा मि, पदिग्नके परिजन इसीमेपरस नामगरसे पाम्पिपाई कोई १५ पिगमें, पदि रमवार से होने वाले मार्मों का शाम मीताऊंचा पहारकारमइस नार का मिमांगापा था। हो बाप तो इन अपरायों की सम्मा मी रसी परिमाय में इसके पूरफ विसूबियस पर्वत पर एसरी तरफ मुव । कम बाप । यह बात तब तक नहीं हो सकती सब तक ईसा के सम्म म पर, एक दिन, भारमात् विस्- शिक्षा का पपेट प्रचार देश में नहीं होता। इस राशि से देखने विक्स मे पाग गवना गुरूबर दिपा । एकपण में मा पर पही करवा पता कि पुलिस मम की अपेक्षा अस्पन्त रमपीप मार मर-मर हो र राम, बालू पीर शिक्षा कायम अधिक मामका है। परम्स, बेव की पात भग्निरस की पारा मीचे दब गया। पत्थरो पर पातुओं ६पुलिस में पहा जिवनी दि की सरही शिपा की ती बावाममो मदी के प्रपार में मनुष्य, पर, सर्च में रखपी बह - स - --.---.. . -