पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/६९६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सम्या ६] पुस्तक परिचय। ४२५ प्रवित होने से मिटिश साम्राम्प की यो अपरिमित हानि पुरे पुगी कि यह-बड़ी भरती पुरक"। इसी को हम सका भनुमान नहीं किया श समता । दुहराते हैं। इस संस्करण में एक विशेषता है। पापा कि बा किकार रेसिपमी ये 1 सभाम-नीति और पुर- मूप मोक मी पर दे दिये गर्षे है। भमुपारक पण्डित हरि- प्रबाप-विषयक मापका ज्ञान गुत पड़ा पड़ा था। माप मिटिश दास पंधने यी पोग्यता से इसकी रपना की है। मूबका राम्प एक पापार-स्सम्म ये। बड़े पराग्नीविण और भाप और माशय सिखने में समाप्य का सहारा लिमा परिचाविशारद पापकी दूरदर्शिता और ऐशक्ति पर मुग्ब गया है। भापा पत सरल है। सम्पूर्ण अनुबाद धीर थे। सम्राट और प्रथा दोनों के पाप विश्वासपात्र पे। पाण्य गय में है। कागल और पपाई सुम्पर है। पारम्म १५-यु-पान शि-काई का शरीर-स्यागी में एक सीम पिप्रमोहै। दूसरी पुस्तक मी-भगवनीता गत पाँची मून को चीन के राष्ट्रपति पु-भान शि-काई की है। पर मी अमुवाद है, पर मूख-रहित । अनुवाद में समुदो गई । इपर रुप दिनो से भाप बीमार मे । पत रुप पोहा, पापाई मौर सोरठे का प्रमोग मा है। इसके अनु. दवा की मां पर कोई पाप करगर महुभा । मन्स में पाक पप्पित वरीप्रसाद तिवारी है। माकार पदा, पर- मापको माब कार के गाम का मासोही स्ना पड़ा। संक्या ११५ धार मूल्य 10हमारी सम्मति में गीता पु-पाल शि-काई संसार के मामी भादमिपो में से पे। का प्रमुपाद मिवना गय में खामदायक हो सम्मागतना पच पाप विकार राजनीतिक ये । माम् वंश के राम-पद की गह में नहीं । भनुपथक पदि सिद्ध कवि रोदो बात दूसरी काट का पाप ही पासे पानी में प्रतिनिधि-सधा है। तीसरी पुस्तक-शारदामारी । इसका प्राकार सम्प की मीब सी पीर माप ही उसके पाले समापति मगंगा, सप्पा २ और मएप ग में पा पतिए। कुछ समप से पाप सम्राट बनने की एक पुस्तक- पो मेपे । वो पम्मास, पर पहुव सामना करने पगे ये, पर पिछोर देम्वा रेश मापने अपनी ही शिधाप्रद है। पा-रेय में सका भार है।वा माया स्पगित रक्सी । पापी मायु से, सम्मर, चीन भीयुत दामोदरदेव शर्मा की रचना। प्रस्तुत पुस्तक रसी शासन-प्रपम्प में वरुप रपसा-पुषस हो।पांची सून गवा पुस्ताका प्रमुपाय । कोई सामोहन नामक ११पिता इतिहास में दुग्म के साथ सरय समन इसके प्रमुवादक। इसमें पर विप्पा गया है की बापगी। रोकिइसी दिन बाई किचनर मी पश्य को कि-"मूत की पम्पदा से घरपर करती मी-पतिमता माप्ताए। की मुखि, पतियत-पम्मरत-एक हिम्मारी किस प्रमा पु-माम शिवाई की जगह परराष्ट्रपति पी-पान पर अपने धर्म से नहीं मिगती' बापी पुरता -जीयनी राष्ट्रपति का काम कर ये हैं। शति । इसका मी प्राकार मोसा है। पठ-सप्मा और मुस्मासटर प्रतापपम ममवार, एम.पी.,नेगमा पुस्तक-परिचय । में एक पुस्तक मिमी है। उसी का पर हिन्दी-अनुराप। १-हरीदास पंछ कम्पनी की पुस्सकें। इस प्रमुपारक, सरस्वती-पाठ के परीचित पण्डित म्याबाबत राम्मा । स्वास्प्पा की पावरपाता से बाहर कोई पाय- कम्पनी में चार पुस्तकें मेमने की रिपा की है। पुरस्क स्यच्या नहीं । "एक सम्दुरस्ती बसार नियामत" जोधपु. प्रकाशन का बाम पाप ममारे से कर दी है। पाई सीपही कर सकता है। रोगी के लिए पाी गरम इसम्म पाहत भया दाताए।ममा प्रस्टच म पाता है। प्रस्तुत पुस्तक में जीवनी शधि की महिमा और स्वास्य- पुर-हिन्दी मगरहोता है। इसका भाकार पर, श- पाय बताये गये हैं। ये पाय एक मामी सास सम्या गई ..., मार मूल्य है। यह इस पुस्तक का बताये हुए हैं। प्रतएप विप मान्य है।दी-मीपन- इसरा समाप। पहले सरकारका परिचय दिसम्बर प्राप्ति की पारने पानी को इसे प्रवरप पाना चाहिए । की सरस्पटी में दिया जा चुका है। इसमें बिएस मा त पारौ पुस्तकें हरीदास पर कम्पनी को, .. -