पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/६९८

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संच्या ] पुस्तक परिचय। - - से, और कुब पीता, बरें सिपो पर की प्रमेक माँ युगको को पुरी प्रावती से बचने का मदुपदेय इसमें दिवा नई पुतिया प्रवरय मासूम दो बागी और सिरों में उनकी म्या है। पावर-पुदि भी प्रमय ही रायगी। ८-प्रारमोन्नति । प्राकार मोबा,प-संप्पा । १-स्याप्यान-साहित्य-संग्रह । पाकार पड़ा, प. मूत्पर माने, पास चिम्मा और मोटा, पाई सम, संक्या वगमंग, मिस्व पंपी हुई, पप ताई सपका, मापा गुजराती-पचारमा, वेता-पिहारी"। इसमें प्रबकपक्ष वामग्री सेठ, मासिक, "न", भावनगर, कम्प-योध, ईश्वर-ताप, पामिमाम, राम-मधि, सम्म से प्राप्य । इस प्रन्य का सचम पीर संप्रामारि मुनिराज भूमि प्रादि पर सरस और सरद कवितायें है। समीके भीबिमपबिडयमी में किया है। इसमें देर, गुरु और धर्म द्वारा प्राप्मोपति की सिवा इसमें दी गई है। का सम्म सममा म प्रारम सत्ता का साकार पाने की गुजराती भापा के प्रेमियों में प्रारमोपसि देविका बेटा की पम्प में परिमोद रानमें येन धर्म पम मान है। इनकी कविता का एक ममूना सानिए- से सम्बन्ध एक्नेबारे विपिप विपयो का विवेचन । भी त्यो सरस्वती सामती स्वां भी भी, सैको प्राचीन प्रम्पो से मुम्दर सुन्दर पचरमक गलियाँ भी मे सरस्वती वही नदि बीर्य शकि, पपत पर विपप-विरेचना की गई है।मूब रखोक संसहन त्रिपुरी गे फदिक मा परमात्मतस्ये, में देकर समके मीचे ग्नका प्रर्ष, भावार्य और माप्प प्रावि संबो सरस्वती भी शक्ति यतिपढ़ने गुजराती मापा में खिया गादर खोकन और इसे कपि ने बसम्तविपक-पृच में सिमा पर हिन्मो, दोमो, प्रम् । संपा पोग्पता-पूर्वक किया संस्कृय-पम्पन्यास्त्र के अनुसार पर पद्य महामाट। एत गया है। पर्म, माधार, म्पहार, शिक्षा, सत्य, असत्य, पयामुसार सर इसमें अनेक स्पनों पर साको मुबर पुर्जन, गुप, दोप-प्रादि सो विपों पर बड़े ही दीर्य पीर दीप को का कोई म पड़े सरता या पप कथित सुन्दर सुन्दर रखो दिये गये हैं। प्पाप्यान देने मायके च की गति के अनुसार पदाहीमही या सम्ता ।इस पाये लिए बहुत मप्पा साहस इसमें है। प्रम्प मापा रण में तो ॥ पदो या अदम्प दोप मी मरमा । गुजराती और संस्कृत मानने वाले समीगो है। इससे कवि की बात पड़ी असमर्पसा प्रकट होती है। केसम का है। पर गुजराती विपों में पर रोप इतना कम हो गया है कि माया कोई भी इससे बचने की पेश नहीं करता । वर्ष ७-सुन-सन्यारंफ कम्पमी, मथुरा, की पुस्तकें। हुए एक और मी गुमाती वि की कविता में दम पर रोप (१) हारमोनियम गारि । प-सप्त्या ५५, मूल्य र माने । रिसा पुके हैं। पावो अपने नमूने के मपे दयों में योग इसमें परमोनिपम बनाने की रीतिसिवा, माम्मत करने की मिसें, या पदि संस्कस के पुराने बसों में रेकषिता करें तो उनके पपयों की पारें । मनमानी करमा प्रप्पा नहीं। तरकीरें भी सिपी मरम्मत से सम्म्प ने पाई पुनक मिसने का पता-नयन्तीकात बी. परेज, गौतम । पिन भी । (२) दन्त-रक्षा | १०-सम्मा ५२, मूल्य । पाने । दांतों को बनायर, सनकी ता. पाय, इन रोग, १-मागयत-पुप्पाम्जाल । पामार चोय, T-सप्या रोगों को चिकिता प्रदिपपर्यन इसमें देशी और १.१, मापसभाने । “बिहारी"मामी विदेगी दोन प्रकार की प्रोपधियां सिपी किसी काम्प- गई FI प्रेमी रसिक मिशन ने श्रीमद्भागवत र महेनुबाद गर्ग ने इसे विमा है। प्रनेक ज्ञातम्प मतिमोर ज्ञान-विषयक 1. माटर चसम पन कर पारती स्कायों से पा। इसमें । (३)मयान के कान में उपयोगी व्यायाम। ग्नी पर अनधि बनाई है। सापंही मग गुमराठी . पसंख्या २०, मूल्य । भाना, पाराग्य-प्रामि २ पमप प्रमुपार मो दे दिया है। सोक पड़े ही सुन्दर ::