पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/७

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अपमता अमूल्य ! पपूर्ण्य 11 ., ज्योतिष-रत्न-भंडार संपूर्ण चारों भाग सप प्रेमी पुरुपों को विदित हो कि स्पोसिपरखमंगर मामक पुस्तक हिन्दी मापा के सुपर पाई प्रक्षरों में मारे सिक्षमे कागज़ पर उपकर तैयार हो गया है, इस पुस्तक मै बारमाग रखे गए प्रथम माग में केरल मनि के समाप ए प्रश्न शिनसे कि पाप बड़ी सुगमता से दूसरं के रदय की बात बता सकसे' है पर सा कोई माफर किसी प्रकार का भी प्रश्न करे उसका घर ठीक ठीक पापस पुस्तक देखने से दे सकते है । प्रिवीय भाग में प्रहफळ प्रर्यात् स्यादि मपग्रहों के फल जिससे कि हर पक मनुप्य. दुस सुखका हाल मळी मोति मालूम हो जाता है। तृवीय भाग में १२ महीने का फलादेश जिससे र एक चीन का काम मुकास मालूम हो जावा मैसे कि अमुक मास के प्रमुफ दिमषा होतो प्रमक मास में प्रभास सक्षा पेगा या महगा, इसी प्रकार पार मी सब वस्तुओं का दास बतला दिया गया हैमर्यात मि, घृत, पापक, गले, कनक, कपड़ा, ईमादि के महगा सस्ता देखने का पर्णन किया गया है। पतुर्य भाग में प्रयापति पर्यास् यिक्रमी संवत् १९६१ से लेकर २००५ सक जितने सूर्य चन्द्रमा के प्राण मागे शिम धार तिथि स्पर्श काठ मास काल सहित लिखे गए। पुस्तक क्या है, सचमुच हीश्योतिप कामशर। यह पुक्षक प्रत्येक पुरप के पास अवश्य होनी चाहिये पोंकि यह पुस्तक कब ज्योतिषी का काम देती है, मोमोग न्योतिपियों से पूछने माते है कि पमुक यस्तु का सस्ती दोगी कप मंहगी उमको अब किसी से पूछने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि इस पुस्तक में से एपण की तरह सब कुछ प्रतीत हो जाता है और प्रमजान मी सब कुछ पतळा सकता है. पर मापा इसकी ऐसी सरल कि यादी हिन्दी भाषा पढ़ा दुपा पुष्प भी पकपडे स्पोसिपी का काम कर सकता है पीर प्रत्येकको प्रस का रत्तर दे सकता है तोबार प्रम-फर्ग के मन में होगी इस पुस्तक के पढ़ने वाला उसके मन की बात का उत्तर देगा पार पप्ममा पठाएगा। महाशयगण! यह पुस्तक क्या है मानो सागर को गागर में भर कर दिससा दिया है. पाप रस पुस्तकको देखते ही फहदेंगे कि सब मुच ऐसी पुस्तक हिन्दी मापा में नहीं पी परन्तुमने पड़े परिश्रम सपर घमप्यय कर के इसी सब के लामहित उपया दिया है। इस प्रमत्म रक्षा पुस्तकका कागज मोटापौर सपा सम्बर पपई पक्ष का दामे पर भी मस्पाइसमा योग रया गया कि पनी पर निर्घम सब इसका मंगा कर ठाम उठाये । मूल्य केपल) पाउ पामे साफमदसा । श्रसनी हिंदी इंगलिश टीचर बिमा रसाद के प्रेमी सीखने की यह प्रनत पुस्तकसमें नशीबान-धीन करने की विधि, चिली निग्रने की विधि, पापय औदने प्रादि सब पाते असो तरह से समझा दी गई है। यह पुस्तक हिंदी साममे पानी का पोते काल में प्रप्रेनो सिपाप, पर टाप के मुन्दर पास में छपी है। मूल्य पक्ष) स्वामी दयानंद सरस्वतीमी का गीपन परिप-यद प्रम्य अभी मपीन पी उपाइसमें दाहा पापाई द में स्थामी दयानंद का संपूर्ण पूतन निला गया है और हरएक दोहा पापाई के मोष सरल माग-टीका की गई। पुसता मपीम पापपय मैगा कर देखें। कान बहुत मारा, जपा पंई पक्षी का मूल्य केवल कप्त मिलने का पता-शामदास वधवा पुस्तकोंवाला शाहालमी दरवाजा, घाज़ार मच्छी हटा, लाहोर ।