पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/७२०

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इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोचम पुस्तकें

चारण । जिनके कारण स्री-समाज ही महीं पुरुष-समाम मी . (एक पपरमा कहानी) नाना प्रकार के समालों में फंस फर पोर नरक सोनोग गरेसी साहित्य से परिचित यासमा मोग रहा है। स्त्री समाज के सपार फी मानो कि Romantic poetry रोमेन्टिक कविता शिक्षा देने में 'मशीलापरिस' पुस्तक पहव ही प- का उस भाषा में कितना प्रचार और भावर है। हिन्दी योगी है। प्रत्येफ पढ़ी लिखी श्री को संग्रीला- में ऐसी कबानो का प्रभाव ही है। प्रस्तुत पुस्तक परिस प्रवरय पड़ना चाहिए । मूल्य १)... हिन्दी साहित्य में एक नई पुस्तक है। इसका ढंग वाला-बोधिनी। .. नया है और कया बड़ी ही रोचक और सरल है। प्रामविक श्यों का मनोरंजक वर्णन, प्राचीन ___ (पांच माग) . राजपूत-गौरव का निदर्शन घपा पारण की प्रात्म- सड़कियों के पढ़ने के लिए ऐसी पुस्तकों की मीवनी पढ़ने ही योग्य है । प्रेम के उद्गार, समता पड़ी प्रावरयकवा यो जिनमें मापाशिक्षा के सापही तथा स्वामिमान से सूखे हुए पथ पर फर पिच प्रसम साथ छामदायक उपयोगी उपदेशों के पाठ हो और हो जाता है। प्रत्येक हिन्दू को यह पुस्तक देखनी सनमें ऐसी शिक्षा मरी हाँ मिनकी, पर्वमान काल पाहिए । क्योंकि इसमें सपके काम की बावें पोर में, लड़कियों के लिए प्रत्यन्त प्रावश्यकता है। उनके पूर्वजों की प्रतीत काल की वीरता का पर्यन हमारी पासापोपिनी इन्हीं प्रावश्यकवानों के पूर्ण है। मूत्य फेल ) करने के लिए प्रकाशित हुई है। क्या पेशी और पार्वती और यशोदा । स्या सरकारी समी पुत्री-पाठशालामो की पाठ्य पुस्तकों में पालावेधिनी को नियत करना पाहिए। इस उपम्यास में स्त्रियों के लिए अनेक गितायें इन पुस्तकों के कपर-पेन ऐसे सुन्दर रसीन छापे गये है दी गई है। इसमें दो प्रकार के मो-स्वभावों का ऐसा फि देखते हो पनपा है । मूल्य पत्रिों मागों का १७ प्रच्छा फोटो खींचा गया है कि समझते ही पनवा और प्रत्येक भाग का क्रमशःE),U,), है। 'सरस्वती' प्रसिख कवि पणिव कामवा- -, है। . प्रसाद गुरु ने ऐसा विचादायक पन्यास लिख कर हिन्दी पड़ी लिखी नियों का बहुत उपकार किया बाला-पत्र-कौमुदी । .. है। हर एक स्त्री को यह उपन्यास प्रवश्य पड़ना मूल्य =) माने चाहिए । मूल्य ।। इस छोटी सी पुस्तक में सदफियों के पोग्य सुशीला-चरित । प्रनेक छोटे छोटे पत्र लिखने के निरम और पत्रों के प्राय कल हमारे देश के स्त्री-समाज में ऐसे नमूने दिये गये हैं।मन्यापाठयाचामों में पढ़ने वासी ऐसे दुगुथ, दुर्व्यसन और दुरापार पुसे पुप ६ कन्यामों के लिए पुस्तक पड़े काम की है। पुस्तक मिझने का पता-मैनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग ।