पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/७२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

3 इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें । बालापत्रबोधिनी। कर्म का मनुष्यपरित्र पर प्रभाव, २–निष्काम . कर्म का महत्त्व, ३-धर्म क्या है,४-परमार्य में इसमें पत्र लिखने के नियम प्रादि बवाने के . म्वार्थ, ५-पेलाग रहना ही सश त्याग है,t- प्रतिरिक नमूने के लिए पत्र मी ऐसे ऐसे छपाये। मुक्फि और कर्मयोग का प्राव-इन विषयों गये है कि जिनसे लड़कियों को पत्र प्रादि लिखने का बर्मन बहुत ही प्रोजस्विनी माषा में किया गया का सोभान होगादी, फिन्सु भनेक उपयोगी शिचायें है। प्रग्यात्मविद्या पा कर्मयोग के जिमासुम को मी प्राप्त हो जायेंगी । मूस्म ।) यह पुस्तक प्रपश्य पढ़नी चाहिए । मूल्य केषत) रामाश्वमेध शेखचिल्ली की कहानियाँ। मर्यादापुरुषोत्तम मीरामचन्द्रजी ने संका-विजय ने संका-विजय इस पुस्तक की गरेसी में हजारो कापियां निक करने के पीछे प्रयोभ्या में जो अश्वमेघ यज्ञ किया था गई.पंगला में मी स्व विक रही।व हिन्दी एसका पर्मन इस पुस्तफ में पड़ी रोचक रीति से में भी यह फिसाब छप कर तैयार हो गई। इन किया गया है। पुस्तक समी के लिए उपयोगी है। कहानियों की प्रशंसा में इतना ही कर देना बाव इसकी कगा पड़ी दी धीररस-पूर्ण है। मूल्य होगा कि इनें शेखचिनी ने लिया है। मूल्य |) सचित्र शरीर और शरीर रक्षा । श्रीगौरांगजीवनी। मूल्य 1) माठ माने मूल्य =) दो पाने यह पुखक पण्डित पंद्रमौलि सकुश एम० ए० पैतन्य महाप्रमु नाम पहाल ही में नहीं फिन्तु की लिखी हुई है। इसमें शरीर के पादरी ५ मीवरी भारत के कोने कोने में फैला मा है। वे वैष्णव प्रहों की पनावट या उनके काम प रषा के उपाय धर्म के प्रवर्तक और श्रीष्य के अनन्य मक थे। लिखे गये हैं। इसमें ऐसी मोटी मोटी पावो का इस छोटी सी पुस्तक में उन्हीं गौरा महाशय की बर्थन किया गया है और ऐसी मरज मापा में लिखा जीवन-घटनामों का संगित पर्णन है । पुस्तक गया है, फि हर एक मनुप्य पढ़ फर समझ सके साधारणसया मनुप्य मात्र के काम की दै; किन्तु और उससे जाम उठा सके । मनुप्य के अलावयव- वैष्णव धर्मावलम्बियों को तो उस अपरम एक बार सम्वन्धी २१ चित्र भी इस में छापे गये है। यह पढ़ना पाहिए। पुस्तक सपा उपादेय है। मुल्लिम नागरी। ' कर्मयोग। यू' जाननेवालों को नागरी सोसने के लिए स्वामी विवेकानन्दजी के कर्मयोग सम्बधी इस.कस समझिए । इसमें उर्दू और नागरी दोनों म्यास्पानों का हिन्दी-अनुवाद करा कर यह पुस्तफ बापी गई है। इससे पड़ी जस्दी मागरी पढ़ना छापी गई है। इसमें सास अध्याय है। इनमें क्रमशः लिस्सना प्रा माता है । मूस्म 10 पुस्तक मिलने का पता-मैनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग ।