पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/७२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें नाट्य-शास्त्र। खेलतमाशा । (सा-परित महावीरप्रसादमी हिदी) यह मी हिन्दी पढ़नेवाले पालकों के लिए बड़े मूस्य ।। पार पाने मजे की किवान है । इसमें सुन्दर सुन्दर वसपी के नाटक से सम्बन्ध रखनेवाली-रूपक,सपरूपक, साय साय गय और पप मापा शिसी गई है। पात्र-कल्पना, मापा, रपनाचातुर्य, वृश्चिा , प्रजहार, इसे पालक यो पाव से पद कर याद कर लेते हैं। सत्य, अवनिका, परदे, वेशभूषा, श्य काव्य का पदने का पदना और स्नेश का खेल है। मूल्य कालविभाग भादि-अनेक पाों का वर्णन इस हिन्दी का विलोना। पुस्तक में दिया गया है। इस पुस्तक को लेफरयालक खुशी के मारे कूदने सचिन लगते हैं और पड़ने का वो इतना शौक हो जाता है देवनागर-वर्णमाला फि पर के प्रादमी मना करते हैं पर वे किवाय हाय पाठ रहों में छपी पु-मूल्य केवल ।) से रखते ही नहीं । मूल्य । ऐसी चम किवाय दिन्दी में भाग सक कहीं नहीं . बालविनोद । छपी । इसमें प्रायः प्रत्येक प्रचर पर एक एक मनोहर प्रथम माग- द्वितीय भाग -1वीय माग चित्र है। देवनागरी सीखने के लिए पयों के बड़े काम जापौधा भाग पाचवा भाग 2) ये पुख की किया है। पचा कैसा भी खिलाड़ी हो पर इस सबके सहकियों के लिए प्रारम्भ से शिखा गुरू किताब को पावे ही वह खेल मूल कर किताब के मरने के लिए प्रत्यन्त उपयोगी है। इसमें से पहले सौन्दर्य को देखने में लग आयगा पीर साथ ही वीनों भागों में रंगीन ससवीरें भी दी गई ६ । इन प्रचर भी सीसेगा। स्पेन का खेल और पढ़ने का पांचौ मागों में सदुपदेशपूर्व अनेक कवितायें भी हैं। पदमा है। बंगाल की टैक्स्ट युक कमेटी ने इनमें से पहले वीनों लड़कों का खेल। मागों को अपने स्कूलों में जारी कर दिया है। (पानी किताब ) भापाव्याकरण । ऐसी किसाप हिन्दी में भाजक कहीं छपी ही पण्डित चन्द्रमौलि एड, एम. ए. असिस्टेंट मही । इसमें कोई ८४ चित्र है। हिन्दी पड़ने के हेडमास्टर, गवर्नमेंट हाईस्कूल, प्रयाग-रपिठ । हिन्दी लिए पासकों को काम की फिवाप है। कैसा मापा की यह व्याकरण-पुस्तक म्याकरण पट्टानेवाले हो खिलाड़ी बालक क्यों न हो और कितना ही प्रध्यापकों के पढ़े काम की है। विद्यार्थी मी इस पदने से जो पुरावा दो इस किसान से हिन्दी पदना पुस्तक को पा कर हिन्दी व्याकरण का बोध प्राप्त लिसना पहुस जल्द सीख सकता है। मूस्य - कर सकते हैं। मूल्य पुस्तक मिझने का पता-मैनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग। .