पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/७२६

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इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें इन्साफ़-संग्रह-पहला भाग । धर्मोपाख्यान । पुस्तक ऐविहासिक है। भीयस मंशी देवीप्रसाद यो यो महाभारत के सभी पर्व मनुष्य मात्र के मुंसिफ जोधपुर इसके क्षेत्रफ है। इसमें प्राचीन राजा- खिए परम उपयोगी है । पर उनमें शान्ति-पर्व सब मों, वादशाहों और सरदारों के द्वारा किये गये प्रद- से पढ़ कर है। उसमें अनेक ऐसी बातें हैं जिन्हें भुव म्यायों का संग्रह किया गया है। इसमें ८१ पढ़ सुन कर मनुष्य अपना पहुच सुधार कर सकता इन्साफों का संग्रह है । एक एक इन्साफ़ में बड़ी बड़ी है। उसी शान्ति पर्व से यह छोटी सी धर्मविषयक पतुई और बुद्धिमत्ता मरी हुई है। पठने लायक पुस्तक 'घमोपाख्यान' वैयार की गई है। इसमें लिखा पीज़ है । मूल्य ) गया उपास्यान बड़ा विजयस्प है । सदाचारनिष्ठ धर्मजिमासुमों को इसे ज़रूर पहना चाहिए । मूल्य इन्साफ़-संग्रह दूसरा भाग। केवल पार पाने । इसमें ३७ न्यायकर्ताओं द्वारा किये गये ७० सर्ट स्पेन्सर की अज्ञेय-मीमांसा । इन्साफ़ लापे गये हैं। साफ़ पढ़ते समय धवीयव यद्यपि यह विषय कुछ कठिन जरूर है; वभापि बहुत खुश होती है । मूल्य केवल :-) : पाने । लेखक ने इसे पहुव मरल भाषा में समझाया है। जल-चिकित्सा-( सचिन ) यह मीमांसा देखने योग्य है । मूल्य ।। - [मेशक-पवित महावीरमसाव दिखेगी ] दुर्गा सप्तशती। इसमें, सफर दुई कूने के सिद्धान्तानुसार, इसका काग़म मोटा और प्रचर भी पढ़े मोटे हैं। मन से ही सप रोगों की चिकित्सा का पर्मन किया परमा लगानेवाले विना चश्मा लगाये ही इसका गया है। मूल्य ।) पाठ कर सकते हैं। पड़ी गुद्र छपी है । कीलक, अर्थशास्त्र-प्रवेशिका। कवच, पन्यास, करन्यास, रहस्म और विनियोग प्रादि समी पावें इसमें मौनद६। इसमें यह भी सम्पविशाम के मूल सिमान्तों के समझने के लिखा गया है कि फिस काम के लिए किस मंत्र का लिए इस पुस्तक को जरूर पाना पाहिए । पड़े काम सम्पुट लगाना चाहिए । पेसी अत्युत्तम पोथो का की पुस्तक है । मूल्य ।। दाम केवल ।। हिन्दी व्याकरण । . वार्किकमाइप्रकाश (कुतर्फियों का दवावजवाय) १) (पा माथिस्यय नी पी. ए. रुस) रसरहस्य (प्रेमियों के देसने योग्य) ... III) यह हिन्दी-व्याफरस अंग्रेजी ग पर पनाया प्रीवमविक्षार (भीरामचन्द्रमी के प्रेममजन) -) गया है। इसमें व्याकरण के प्राय: सब विषय ऐसो रटान्तसमुदय (उपदेश मरे स्टान्तों का संग्रह) ) अच्छी रीति से समझाये गये हैं कि बड़ी प्रासानी महिमस्तोत्र ... मे समझ में आ जाते है। मूल्य - एकमुखी हनुमत्कषच ... ... ... -" पुस्तक मिलने का पता-मैनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग ।