पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/७३१

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श्रीमान राय दीवा- केमियन में • रोगों के मिए न चन्दसाहिप एम.ए. सागमों एल एल. वी. जज . पाऊल माहार लिखते हैं:- ', की पावत पात: "मनपारा को मैंने मापन निकम म्ययं मननिरित रोगों सम्मति में शत पर पर्या है. पार दिसफर पपियों पार.. पाया.गवस, शि- पर सरीदमा पर्प गुल, दियादेश, मिर. मृतधारा रस दंश. पलपाफ, मैत्रशूल, प्रारप ६, राम का मासमा, दाप रोगों में गुत शोर में पापा ! मैं यहां पर रेती, जिसके लिपना उचित ममता कपा मम किसप सगा पमूत मासी, मेरी सम भाराको दी पता. पह पधि ॥ पारा पापधियां प्राप रोग मनुप्य का हर समय ग्रसन को तैय्यार रहते हैं... "अमृतधार" हर समय पास रक्खो जो एक ही पाय जिसकी मामा २-३ न, हम सप रोगों का मांस बढ़ो, पो, जपानी, जियो पर पुगेको हात रामपाय Ant, पाने गाने मौसम कई प्रयानक दो, प्रसानदी असर करती है।महीमादी दिला परे परीके मिनटों में दूर होते हैं। एकबार पाजमा, पूठी मी संप्रेसन ' मnिो एनपान र प्रका भी सिर पीडा, ग, वाम, पान, पीमा, सुधाम,tam, TRY, पसरा, गुरगुहाट. परिणमराज, सहमी, निसार, परम, परमार (गम), मार सर्पगंग, बामपगग, मुस सर्योग, फा. पुम्सी. दादा पंस, तप, दार. ft. .. पटमास, म, पापसाता. या सदराद पदका tr, N अपराटि .... R, मापदं, पानपिपापीमाये, गोर, पामरममा, मीत ,प्रपल.. माम गग, पाणा , पप, गनपाना, प्रदा. भागीर. गतगार, रपमाना, Am, i (परोग, मगर मांगन, पा , पान, refm मा.जप,tm, rमाद, गोपाला गपाल पेटमा, गुरप, मृग, पानी , TIT, THttim मागोंदियामरामारीsti . विज्ञापर- . मेनेजर-"तपाप" पाहण"त' भन्न, "Trt" मा. "माना, सादर परमार ना प ~मृतधारा (मांच सी) .. •