पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/८०

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संख्या १] पड़ोसिन । Home । पट्र मे तो कम ऐसा रस्म अर्पण पर दिया। में फंस गया। उन्द पार, सुफ का ए भी मान प. उमरी मापने इसमा ममिन स किया! - न.होने पर भी उसने पीरो परमा न पर न पाता। यह पामबाण पपी। , सब देख कर मैं प्रपाक हो गया। पेर मयान ने इस विषय में महायता प्रार संशोधन के लिए मेरो शरण ली। पड़ोसिन । . ‘फयिता का विषय मया न था. पार पुराना भी। पार. री परोसिन वालवियपा थी। मान न था। उसे पत नया मी फह सपने पाले की मारी, पृन्तरहित, शेफा- बहुत पुराना भी । मेमी की फयिता मियतमा * By लिका के समान पद किसी कमरे मनि । मन स फर पूजा-पया मित्र कान है। की फूल-शय्या के लिए नहीं, किन्तु नयान ने कहा-प्रमी मर तो कुछ

देयपूजा के लिए ही छोरी स्पर नहीं! नयोन की कयितामों का संशोधन फरना मुझे गई दो। मैं मन ही मन उसकी पूजा किया करतां। बात अप्य मान पड़ा। उन्हीं कायसापों द्वारा इसके मिया मैं उसे पार किसी दूसरी-निगाह म - मैं उसकी काल्पनिक प्रियतमा ६ मनि अपने गम मे देखता था या महीं-यह पतान की मेरी पा प्रापंग का प्रयोग करने लगा। पेयप्चे कीमों जिस मामला प्रकार हंस का अण्डा पा कर उसे अपने घरों में मी नहीं! स्टगा फर. पेटती है, उसी प्रकार में भी नाममाघय मेरा प्यारा मिय नयोनमापय भी इस विषय के भाय का अपने प्य के मारे उमापसे या पेठा । ' में कुछ न जानता था। अपने मन के पायेग को इस मयोन की फपिता पर संशोधन में इतमा अधिक प्रकार गुप्त-प्रतपय निर्मल-रत्रमे का मुझे कुछ करमा कि उसमें प्रायः पन्द्रह भाना में अपनी पार गर्य भी था। मे मिटा देता। ! पर, मन का पेग पदादी नदी के समान है। नयीन पिस्मित हो कर कदमा-ठीक यही कार्ल में भी कहना पाहता था, पर कह न सका। 'यह अपने जम्म-शिखर पर स्थिर रहना नहीं घाहमा । किसी प्रकार बाहर निकलने की चेसा तुम ये मारे माप फदा में लाते है? पार. मयि की सग. उत्तर देताजपना पद करता दी है। पार. फतफार्य न होने पर दिल मे। वोति सस्य नीग्य, पार कपना मुगरा। को दुग पहुंचता है। इसी मे में सोचने लगा कि ' पपिता द्वारा अपने माप प्रकाशित फर । किन्तु सन्य पटना माय-प्रोत का पन्द कर देता है. पर पुष्टिता सेपनी मे पागे पढ़ने में माफ इनकार फापना उमके मार्ग को गाम देती है। भयाम फुट मोच फर पड़ी गम्भीरता में । कर दिया। पाययं की पात यद दुई कि ठीक इसी कहता- मैं भी तो यही देखाटीप :- ममप मेरे मित्र मपीनमापय फो भी फायना पार फिर पुए देर बाद पहना-दीप! टी! करने की प्रबल एम पेमाप मारी पिपर नयान में कहा-पिता या पवित मी तुम्ही लिपर नएए उन्हें तुम्हारी माम । .सत्र पाएगना से प्रमुवादित। मे मेंकारना ठीमागा।