पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/९७

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५६ सरस्वती। है। ये सोग इसफा कारण यह पताते हैं कि इमो हर परियार में एक ममिया होता है। पूर्वी के साथ ग्राह्मण मे घिझ्यास-घात किया. माशा पिमा घर का कोई काम नहीं होता जिसके कारण यवनों से इमकी हार हुई पार ये यह समय समय पर अन्य परिपागे भी मह लोग घने जंगलों में जा छिपे। तभी से ये प्रपना हर काम के सम्पन्य में मालूम करता. एर फाई भी काम प्राह्मणों से नहीं कराते । ब्राह्मणों के इसी प्रकार घर मर की नियां एक सो हाय का भोजन फ्या, उनके दुए एप कच्चे घड़े का सता में रपती है। इन लोगों में शिक्षित र पामी भी ये महीं पीते ।हिज जातियों से पृयका दूर घरों की तरह फलाह नहीं होता । सब मांग: जालों में रहने, पार अपनी प्राषयातायें स्वयं ही चित्त रहते हैं। शायद यही कारण है. मानः पूर्ण फर लेने, के कारण इनके व्ययहार शायद ऐसे में प्रपात्र के पुत्र का दर्शन करने वाले मनुष्य होगये हैं। पर प्रय धीरे धीरे इनमें ग्राहम्णों का मान में पाते है । होता जामा है। लोग कथायें. करामे म्हगे है। थाम स्टोगों को मास कस प्रियपुर दो थाममों मे शिपनीट का स्थापन भी किया है। साथ साथ पैट कर नाच देयते हर हिन्दू तीर्थो को ये लोग मानते हैं। स्योहारों में कुछ ममिय गायक होते है। इन रागी . फेयर होली मार दियाली मनाते ६, मा भी पिचित्र पुराम है पार प्रत्येक का समय नपर। अंग से। इस जामि फा ईमाई वद्रुत दिनों में स्टुमा रहे हैं। मगर अभी तक उमका कुछ भी प्रभाय इन गई दोकर ऊँचे स्थर से गाते हैं। एक पाठ का र अना कर माचता है। घर पुगत पर नहीं पड़ा। पम्पल इनका समसे अधिक प्रापपक परम मामने कुछ देर पेठ फर यद अपने राब है। अधिश थारू टोपी मोड़ पार गोट पोधे दिम्याता पार उसे प्रसन्न करता है। साल पर माटी पाए मगती है। माचने याला पीय रहते। लैंगोट का एफ. मिरा सामने की तरफ शाफिरना है। गाने घाटी में मास्टी हाय म्लम्या लटका करता है। पद पन्धे पर डाल लिया होमा | का हमा, काई माटी, का कुरा जाता है। जिनमें कुल शिक्षा या मम्पता का प्रवेश राहता धाम-माघ, मम्य नारंगे की हर हो गया उनकी पाशा बदलनी जानी है। रिपया धर्म पार पापु का नाशाक नाही है। पेशानी पर मामने के पास कर बड़ा मुन्दर जूड़ा सा पनामी धनपान घर की गिनयाँ दो पामीन मारी दम जाति में परें का रियाग नहीं । त्रि मारी ईमरिया, इमेट पार पांच के दामीमदुत मी पूर्स एणतन्यता है। घामा पनि का म्याग सपियो गर्म में पहमती है। पाप में पे.टगने मे ऊपर, दमा के घर जा माती मरे में पिपा. कासगीतर का पकभूषण, जिम पादाकारत ,पद- भय सेलिया आता मी-पुरूषों के गुण मही है । भुजपणी पर यादी. मीन मीन, पाजन्य मोसो दूर मदीनालापो मैं माऽस्टियां मारने मांधती उपहामाया काले गाप.५ सप्टमा पार है या मा कोलाम मचाते पार १३ गिगह पाड़ा. मोदमी ६म में प्यपमही में कराटे पेटीमक माता-पिता की मार काशी पहना आता दादामन नमाज़-नुमा होना मामी र होली में स्त्री-पुरुष मनपाले RITT पिकांना पाणे मिमटा रामागे मागमाप होली मम पार मनमाने अमम्म सिलिनमाका.माये ऊपर दागदा है। गाने मछली माग्ने र दिम, होली रोड