बारानी को भी ये दासी बना देंगे
खेती मंत्रालय शायद ज़मीन पर उतर सके। खेती-बाड़ी के राज्यमंत्री चंदूलाल चंद्राकर और कुछ बड़े अधिकारियों ने पहली बार इस हफ्ते स्वीकार किया है कि बारानी असिंचित खेती की तरफ़ ध्यान दिए बिना सातवीं योजना के आखरी छोर पर रखा गया अनाज उत्पादन का लक्ष्य छू पाना बहुत मुश्किल होगा। अगले साल यह लक्ष्य 16 करोड़ टन है और साल के अंत तक इसे 18 करोड़ 80 लाख टन तक पहुंचाने की बात है।
लेकिन ज़मीन पर उतरने का तरीक़ा बहुत हवाई-सा दीखता है। अगले महीने दिल्ली में होने वाले राष्ट्रीय विकास परिषद के सम्मेलन में बारानी खेती की एक राष्ट्रीय योजना को मंजूरी दी जाएगी फिर यह शुष्क भूमि कृषि योजना के नाम से जानी जाएगी। यदि 'नाम में क्या रखा है' ऐसा सवाल उठाया जाए तो कहना पड़ेगा कि योजना का नामकरण ठीक नहीं हुआ है। वह शुष्क भूमि के लिए नहीं, असिंचित भूमि के लिए बनाई गई है और ऐसी असिंचित खेती को वहां के किसान बरसों से बारानी खेती कहते आ रहे हैं।
फ़ारसी से कभी हिंदी में आए बारानी शब्द का मतलब है वर्षा के