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पृष्ठ:साफ़ माथे का समाज.pdf/१८१

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अनुपम मिश्र


राजनैतिक नेतृत्व सर्वसम्मति रखता है सिर्फ विनाश के लिए। उन सब में रज़ामंदी है विनाश के लिए। और किसी चीज़ में एक दो वोट से सरकार गिर सकती है, पलट सकती है, बन सकती है, बिगड़ सकती है। लेकिन इस विकास और विनाश वाले मामले में सबकी गज़ब की सर्वसम्मति है। इस सर्वसम्मति के बीच में हमारी आवाज़ दृढ़ता और संयम से उठनी चाहिए। जो बात कहनी है, वह दृढ़ता से कहनी पड़ेगी। प्रेम से कहने के लिए हमें तरीक़ा निकालना पड़ेगा। हमें अब सरकार के पक्ष को समझने की कोई ज़रूरत नहीं है। उसे समझने लगें तो ऐसी भूमिका हमें थका देगी। हम कोई पक्ष नहीं जानना चाहते। हम कहना चाहते हैं कि यह पक्षपात है देश के साथ, देश के भूगोल के साथ, उनके इतिहास के साथ-इसे रोको।

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