किसी भी पारिस्थतिकी-तंत्र के स्वस्थ व समृद्ध होने के लिए अधिकतम जैव-विविधता (bio-diversity) अनिवार्य है और पारिस्थितिकी-विज्ञान का सिद्धांत है कि higher the diversity the more stable an eco-system is.
1. मानवीय अतिजीवता और विकास को सुनिश्चित करने के लिए आप जैव-विविधता की क्या भूमिका मानते हैं?
2. भारत जैव-विविधता के क्षेत्र में एक संपन्न देश है और यहां पर विश्व के गिने-चुने जैव-विविधता के हॉट स्पॉट्स हैं। हमारा पारंपरिक ज्ञान विविध flora और fauna के कई सारे इस्तेमाल और संरक्षण की समृद्ध जानकारी रखता है परंतु उनका कोई लिपिबिद्ध संग्रहण नहीं है। ऐसे में आप वर्तमान IPR संरचना और पैटेंटिंग तंत्र की इस माने में सक्षमता को कैसे और किस तरह से आंकते हैं जिससे कि हम अपनी अमूल्य प्राकृतिक व जैविक संपदा को विकसित राष्ट्रों की लालची व्यापारिक जकड़न से बचा सकें?
3. इस तरह के ख़तरों को ध्यान में रखते हुए क्या आपको यह नहीं लगता कि आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी दक्षता यदि नियंत्रित और व्यवस्थित हो तो हमारी धरोहर को अक्षुण्ण रखने में वह मददगार सिद्ध हो सकती है, जो कि हाल ही में नीम का पैटेंट जीतने से साबित होती है, क्योंकि अगर बी.एच.यू. के प्रो. सिंह आधुनिकतम तकनीक व वैज्ञानिक दक्षता से लैस नहीं होते तो हम इस जीत और अपनी अमूल्य धरोहर के अधिकार से भी वंचित रह जाते?
कई बार चीज़ हमारे हाथ से निकल जाती है तब हमको याद आती है। जैव विविधता वैसा ही शब्द है। जिन समाजों ने अपनी आदतों के कारण
221