पृष्ठ:साफ़ माथे का समाज.pdf/७५

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अनुपम मिश्र

जब शुरू-शुरू में अंग्रेजों ने इस इलाक़े में नहरों का, पानी का काम किया, तटबंधों का काम किया तब भी उनके बीच में एक-दो ऐसे सहृदय समझदार और यहां की मिट्टी को जानने-समझने वाले अधिकारी रहे जिन्होंने ऐसा माना था कि जो कुछ किया गया है उससे यह इलाक़ा सुधरने के बदले और अधिक बिगड़ा है। इस तरह की चीज़ें हमारे पुराने दस्तावेज़ों में हैं। इन सबको एक साथ समझना-बूझना चाहिए और इसमें से फिर कोई रास्ता निकालना चाहिए। नहीं तो उत्तर बिहार की बाढ़ का प्रश्न ज्यों-का-त्यों बना रहेगा। हम उसका उत्तर नहीं खोज पाएंगे।

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