पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१०१

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पूंजी के युग में निजी तथा राज्यीय इजारेदारियां किस प्रकार एक-दूसरे में गुंथी हुई हैं ; किस प्रकार वे दोनों ही दुनिया के बंटवारे के लिए बड़े इजारेदारों के बीच होनेवाले साम्राज्यवादी संघर्ष की अलग-अलग कड़ियां हैं।

व्यापारिक जहाज़रानी के क्षेत्र में भी संकेंद्रण के अत्यधिक विकास की परिणति दुनिया के बंटवारे में हुई है । जर्मनी में दो शक्तिशाली कम्पनियां सबसे आगे आ गयी हैं : Hamburg-Amerika" और «Norddeutscher Lloyds, जिनमें से प्रत्येक के पास (शेयरों तथा बांडों के रूप में) २०,००,००,००० मार्क की पूंजी और १८ करोड ५० लाख से १८ करोड ६० लाख मार्क की कीमत के जहाज़ हैं। दूसरी ओर, अमरीका में १ जनवरी, १९०३ को “इंटरनेशनल मर्केन्टाइल मैरीन कं०" की स्थापना हुई, जिसे मार्गन का ट्रस्ट कहा जाता है; यह कम्पनी नौ अमरीकी तथा ब्रिटिश जहाज़ी कम्पनियों को मिलाकर बनायी गयी थी और इसके पास १२,००,००,००० डालर (४८,००,००,००० मार्क) की पूंजी थी। बहुत पहले १९०३ में ही जर्मनी की विशालकाय कम्पनियों और इस अमरीकी-ब्रिटिश ट्रस्ट के बीच मुनाफ़े के बंटवारे के सिलसिले में दुनिया का बंटवारा कर लेने का समझौता हो गया था। जर्मन कम्पनियों ने अंग्रेज़-अमरीकी यातायात के क्षेत्र में प्रतियोगिता न करने का आश्वासन दिया। यह बात साफ़-साफ़ तय कर दी गयी कि कौन-कौन बंदरगाह किसके-किसके “हिस्से में आयेंगे", एक संयुक्त नियंत्रण समिति की स्थापना कर दी गयी, इत्यादि। यह समझौता बीस वर्ष के लिए हुआ था और इसमें एक समझदारी की शर्त यह भी थी कि युद्ध छिड़ जाने पर यह समझौता रद्द हो जायेगा।*[१]

इंटरनेशनल रेल कार्टेल के निर्माण की कहानी भी अत्यंत शिक्षाप्रद है। ब्रिटेन, बेलजियम तथा जर्मनी के रेल के कारखानों के मालिकों की तरफ़ से एक कार्टेल बनाने की पहली कोशिश अब से बहुत पहले १८८४ में एक


  1. *रीसेर, पहले उद्धृत की गयी पुस्तक , पृष्ठ १२५ ।