पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१०९

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इस बात की ओर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है कि ब्रिटेन के ये प्रमुख पूंजीवादी राजनीतिज्ञ उस समय ही आधुनिक साम्राज्यवाद के दो प्रकार के आधारों के पारस्परिक संबंध को देखने लगे थे, एक तो वे आधार जिन्हें शुद्ध आर्थिक आधार कहा जा सकता है और दूसरे राजनीतिक-सामाजिक आधार। चैम्बरलेन साम्राज्यवाद को एक "सच्ची, बुद्धिमत्तापूर्ण तथा मितव्ययिता की नीति" कहकर उसका प्रचार करते थे और विशेष रूप से जर्मनी, बेलजियम तथा अमरीका की प्रतियोगिता की ओर संकेत करते थे, जिसका मुकाबला ग्रेट ब्रिटेन को विश्व के बाज़ार में करना पड़ रहा था । पूंजीपति कार्टेल, सिंडीकेट तथा ट्रस्ट बनाते गये और यह कहते रहे कि इजारेदारियों में ही मुक्ति है। पूंजीपति वर्ग के राजनीतिक नेताओं ने भी इसी बात को दोहराया कि इजारेदारियों में ही मुक्ति है और जल्दी-जल्दी दुनिया के उन हिस्सों पर क़ब्ज़ा करने लगे जिनका बंटवारा अभी तक नहीं हुआ था। और सेसील रोड्स के गहरे मित्र पत्रकार स्टेड से हमें मालूम हुआ कि १८६५ में रोड्स ने साम्राज्यवाद के बारे में अपने विचार उनसे इन शब्दों में व्यक्त किये थे: "कल मैं लंदन के ईस्ट एंड" ( मजदूरों की बस्ती ) "में था और मैं बेरोज़गारों की एक सभा में गया। मैंने उनके रोषपूर्ण भाषण सुने , जो केवल 'रोटी, रोटी!' की पुकार थे, और घर लौटते समय मैं रास्ते भर इस दृश्य पर विचार करता रहा और साम्राज्यवाद के महत्व के बारे में मेरा विश्वास पहले से भी अधिक दृढ़ हो गया... मेरा चिरपोषित विचार सामाजिक समस्या का हल है, अर्थात् यह कि ब्रिटेन (यूनाइटेड किंगडम ) के ४,००,००,००० निवासियों को रक्तपातपूर्ण गृहयुद्ध से बचाने के लिए, हम औपनिवेशिक राजनीतिज्ञों को नयी जमीनें हासिल करनी चाहिए जहां हम यहां की फ़ालतू आबादी को बसा सकें , हमें यहां के कारखानों तथा खानों की पैदावार के लिए नयी मंडियां जुटानी चाहिए। जैसा कि मैंने हमेशा कहा है साम्राज्य एक

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