पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१७५

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राज्य में मिलाना चाहता है? और क्या हम इस बात को मानने पर मजबूर नहीं होंगे कि वह जापानी दूसरों के इलाक़े को अपने राज्य में मिलाने के खिलाफ़ जो "संघर्ष" कर रहा है उसे सच्चा और राजनीतिक दृष्टि से ईमानदार तभी समझा जा सकता है जब वह कोरिया पर जापान के आधिपत्य के खिलाफ़ भी लड़े और यह मांग करे कि कोरिया को जापान से अलग हो जाने की आज़ादी हो?

कौत्स्की का साम्राज्यवाद का सैद्धांतिक विश्लेषण और उनकी साम्राज्यवाद की आर्थिक तथा राजनीतिक आलोचना दोनों ही की नस-नस में साम्राज्यवाद के आधारभूत विरोधों पर परदा डालने तथा उन्हें टाल जाने की एक ऐसी भावना और यूरोप के मजदूर वर्ग के आंदोलन में अवसरवाद के साथ छिन्न-भिन्न होती हुई एकता को हर क़ीमत पर सुरक्षित रखने की एक ऐसी चेष्टा समायी हुई है जिसका मार्क्सवाद के साथ कभी मेल नहीं बैठ सकता।

१०. इतिहास में साम्राज्यवाद का स्थान

हम देख चुके हैं कि सारतः साम्राज्यवाद इजारेदार पूंजीवाद है। यह बात स्वयं इतिहास में उसके स्थान को निर्धारित करती है क्योंकि इजारेदारी , जो खुली प्रतियोगिता की भूमि पर, और खुली प्रतियोगिता से ही पैदा होती है, वह पूंजीवादी व्यवस्था से एक उच्चतर सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था में संक्रमण की द्योतक है। हमें इजारेदारी के चार मुख्य स्वरूपों को, या इजारेदार पूंजीवाद की उन चार मुख्य अभिव्यक्तियों को विशेष रूप से दृष्टिगत रखना चाहिए जो विचाराधीन युग की लाक्षणिकताएं हैं।

पहली बात, इजारेदारी उत्पादन के संकेंद्रण के विकास की एक बहुत ऊंची अवस्था में जाकर उत्पन्न हुई। इसका संबंध इजारेदार

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