पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१७६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

पूंजीवादी संघों, कार्टेलों, सिंडीकेटों तथा ट्रस्टों से है। हम देख चुके हैं कि इनकी वर्तमान आर्थिक जीवन में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है। बीसवीं शताब्दी के आरंभ में इजारेदारियों ने उन्नत देशों में अपना पूर्ण प्रभुत्व स्थापित कर लिया था और यद्यपि कार्टेलों के संगठन की दिशा में पहले क़दम सबसे पहले उन देशों में उठाये गये जिन्हें ऊंचे महसूलों का संरक्षण प्राप्त था (जर्मनी, अमरीका), पर ग्रेट ब्रिटेन में भी, जहां खुले व्यापार की पद्धति प्रचलित थी, यही मूलभूत घटना देखने में आयी, अलबत्ता कुछ बाद में, अर्थात् उत्पादन के संकेंद्रण से इजारेदारी का जन्म।

दूसरी बात, इजारेदारियों ने कच्चे माल के सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों पर, विशेष रूप से पूंजीवादी समाज के अंतर्गत सबसे अधिक हद तक कार्टेलों में संगठित उद्योगों के–कोयले तथा लोहे के उद्योगों के–कच्चे माल के स्रोतों पर क़ब्ज़ा कर लेने को प्रोत्साहन दिया है। कच्चे माल के सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों की इजारेदारी ने बड़ी पूंजी की ताक़त को बेहद बढ़ा दिया है और कार्टेलों में संगठित उद्योगों तथा उन उद्योगों के पारस्परिक विरोधों को बहुत उग्र रूप दे दिया है जो कार्टेलों में संगठित नहीं हैं।

तीसरी बात, इजारेदारी बैंकों से उत्पन्न हुई है। बैंक बिचवानी करनेवाले छोटे-मोटे कारोबारों से बढ़कर वित्तीय पूंजी के इजारेदार बन गये हैं। प्रमुखतम पूंजीवादी देशों में से प्रत्येक में तीन से पांच तक सबसे बड़े बैंकों ने औद्योगिक तथा बैंकों की पूंजी के बीच "वैयक्तिक एका" स्थापित कर लिया है और अरबों की रक़म का नियंत्रण अपने हाथ में संकेंद्रित कर लिया है; यह रक़म पूरे के पूरे देश की पूंजी तथा आय का अधिकांश भाग है। इस इजारेदारी की सबसे ज्वलंत अभिव्यक्ति वित्तीय अल्पतंत्र है, जो बिना किसी अपवाद के आधुनिक

१७६