पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१८९

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12बाक्सर विद्रोह–लेनिन का अभिप्राय यहां १९०० में विदेशी साम्राज्यवादियों के शासन के विरुद्ध चीनी जनता के प्रथम इ हो तुआन विद्रोह से है। जर्मन जेनरल वाल्देरसी के कमान के मातहत साम्राज्यवादी सत्ताओं की संयुक्त सैनिक टुकड़ियों ने यह विद्रोह निर्दयता से कुचल डाला। १९०१ में चीन को तथाकथित "सन्धिपत्र के अन्तिम प्रारूप" पर हस्ताक्षर करने पर मजबूर किया गया। इस सन्धिपत्र के अनुसार चीन पर भारी मुआवज़ा लादा गया और उसे पूरी तरह विदेशी साम्राज्यवाद के अर्द्ध-उपनिवेश में परिवर्तित किया गया।

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