पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/७४

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है। “पचास आदमी , जिनके पास ८०,००,००० फ्रांक की पूंजी हो, चार बैंकों में जमा २,००,००,००,००० फ्रांक की पूंजी पर नियंत्रण रख सकते हैं।" "होल्डिंग पद्धति" का भी , जिससे हम परिचित हो चुके हैं, यही परिणाम होता है। उदाहरण के लिए, «Societé Générale», जो सबसे बड़े बैंकों में से एक है, अपनी “बेटी कम्पनी" 'मिस्री शकर कारखानों" के लिए ६४, ००० बांड जारी करता है। ये बांड १५० प्रतिशत पर जारी किये जाते हैं , अर्थात् हर फ्रांक पर बैंक को ५० सेंटीम का लाभ होता है। बाद में मालूम हुआ कि नयी कम्पनी के डिवीडेंड झूठे हैं और "पब्लिक" को ९ से १० करोड़ फ़्रांक तक का नुकसान हुआ। "«Société Générale» का एक संचालक 'शुगर रिफ़ाइनरीज़' के संचालक- मंडल का सदस्य था।" लेखक का इस निष्कर्ष पर पहुंचने पर बाध्य होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि “फ्रांसीसी गणतंत्र एक वित्तीय राजतंत्र है", "वह वित्तीय अल्पतंत्र के पूर्ण प्रभुत्व का द्योतक है; अखबारों और सरकार पर वित्तीय अल्पतंत्र का ही प्रभुत्व है।"*[१]

प्रतिभूतियां जारी करने से, जो कि वित्तीय पूंजी के मुख्य कामों में से एक है, जिस असाधारण रूप से ऊंची दर पर मुनाफ़ा मिलता है उसका वित्तीय अल्पतंत्र के विकास तथा उसे सुदृढ़ बनाने में बहुत बड़ा हाथ होता है। जर्मन पत्रिका «Die Bank» लिखती है : “देश में इस प्रकार का एक भी कारोबार नहीं है जिसमें उसके लगभग बराबर भी मुनाफ़ा होता हो जितना कि विदेशों के लिए ऋण जुटाने के काम से मिलता है।"**[२]


  1. * Lysis, «Contre l'oligarchie financière en France» (“ फ्रांस में वित्तीय अल्पतंत्र के खिलाफ़" - अनु०), ५वां संस्करण , पेरिस १९०८, पृष्ठ ११, १२, २६, ३९, ४०, ४८ ।
  2. ** «Die Bank» १९१३, अंक ७, पृष्ठ ६३० ।

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