पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/७५

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"बैंक के किसी दूसरे कारोबार से उतना मुनाफ़ा नहीं होता जितना कि प्रतिभूतियां जारी करने से होता है !" "जर्मन एकानोमिस्ट" के अनुसार, प्रौद्योगिक शेयर जारी करने से औसत वार्षिक लाभ इस प्रकार हुआ:

प्रतिशत
१८९५ ३८.६
१८९६ ३६.१
१८६७ ६६.७
१८९८ ६७.७
१८६६ ६६.९
१९०० ५५.२

"१८९१ से १९०० तक के दस वर्षों में जर्मन औद्योगिक शेयर जारी करके एक अरब मार्क से अधिक का मुनाफ़ा ‘कमाया' गया।"*[१]

औद्योगिक तेज़ी के ज़माने में वित्तीय पूंजी का मुनाफ़ा बेशुमार होता है, परन्तु औद्योगिक मंदी के जमाने में छोटे-छोटे तथा कमजोर कारोबार ठप हो जाते हैं , बड़े बैंक उन्हें मिट्टी के मोल खरीदकर उनमें “होल्डिंग प्राप्त कर लेते हैं या उनके “पुनर्निर्माण" तथा "पुनःसंगठन " के लिए लाभप्रद योजनाओं में भाग लेते हैं । कारोबारों का "पुनर्निर्माण" करने में, जो घाटे पर चलते रहे हैं, "शेयरों की पूंजी को गिरा दिया जाता है, अर्थात् मुनाफ़ा कम पूंजी


  1. * Stillich, पहले उद्धृत की गयी पुस्तक , पृष्ठ १४३ और W. Sombart, «Die deutsche Volkswirtschaft im 19. Jahrhundert» ( उन्नीसवीं शताब्दी में जर्मन राष्ट्रीय अर्थतंत्र - अनु०), 2. Aufl., 1909, पृष्ठ ५२६ , Anlage 8.

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