पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/९८

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जिनमें सबसे प्रमुख स्थान विशाल «Deutsche Bank» का है। इन बैंकों ने "स्वयं" अपने पैर जमाने के उद्देश्य से स्वतंत्र तथा नियमित ढंग से , उदहरण के लिए, रूमानिया के तेल-क्षेत्रों का विकास किया। १९०७ में रूमानिया के तेल-उद्योग में जो विदेशी पूंजी लगी हुई थी वह अनुमानतः १८,५०,००,००० फ़्रांक की थी जिसमें से ७,४०,००,००० जर्मन पूंजी थी।*[१]

"दुनिया के बंटवारे" के लिए संघर्ष प्रारंभ हो गया , आर्थिक साहित्य में इसी शब्दावली का प्रयोग किया जाता है। एक तरफ़ तो राकफेलर के “तेल ट्रस्ट" ने हर चीज पर कब्जा कर लेने की इच्छा से खुद हालैंड में जाकर अपनी एक "बेटी कम्पनी" खड़ी की और अपने मुख्य शत्रु एंग्लो-डच शेल ट्रस्ट पर प्रहार करने के उद्देश्य से डच इंडीज़ में तेल-क्षेत्र खरीद लिये। दूसरी ओर, «Deutsche Bank» तथा जर्मनी के दूसरे बैंक रूमानिया को “अपने लिए बनाये रखने" और उसे राकफेलर के खिलाफ़ रूस के साथ मिला देने के फेर में थे। राकफेलर के पास कहीं अधिक पूंजी और तेल के परिवहन तथा वितरण की बहुत अच्छी व्यवस्था थी। इस संघर्ष की हार होनी थी और १९०७ में वह हुई भी , जिसमें «Deutsche Bank» की करारी हार हुई, उसके सामने दो ही रास्ते रह गये : या तो “तेल-उद्योग में अपने हितों" को खत्म कर दे और करोड़ों का घाटा उठाये या फिर घुटने टेक दे। उसने घुटने टेक देना ही बेहतर समझा और "तेल ट्रस्ट" के साथ एक ऐसा समझौता कर लिया जो उसके लिए बहुत नुकसान का था। «Deutsche Bank» इसपर राजी हो गया कि वह “कोई ऐसी कोशिश नहीं करेगा जिससे अमरीकी हितों को हानि पहुंचे"। परन्तु समझौते में इसकी गुंजाइश रखी गयी थी कि यदि जर्मनी तेल की राज्यीय इजारेदारी कायम कर ले तो यह समझौता रद्द हो जायेगा।

इसके बाद “तेल का हास्यप्रधान नाटक" आरंभ हुआ। जर्मनी के


  1. * Diouritch, पहले उद्धृत की गयी पुस्तक , पृष्ठ २४५ ।

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