पृष्ठ:साहित्यालाप.djvu/११३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०८
साहित्यालाप


हैं। आप अनेक देशहितकारी कामों में भी सदा लगे रहते हैं। दूसरोंको लिखने पढ़ने के विषय में उपदेश भी देते हैं। हिन्दी-प्रचार के लिए आपने जो उद्योग किया है वह किसी से छिपा भी नहीं है। तथापि, खेद के साथ कहना पड़ता है कि स्वयं एक पंक्ति तक अब आप, हिन्दी में, नहीं लिखते। हम जानते हैं, आपको सैकड़ों काम रहते हैं, परन्तु यदि वर्ष में आप एक भी लेख लिखें तो औरों के लिए वे उदाहरण हो जायं ; उनको देख कर दूसरे विद्वानों को भी लिखने का उत्साह हो। यदि वे स्वयं नहीं लिख सकते तो अपने परिचित, अपने मित्र, अथवा अपने पड़ोसी विद्वानों ही को उत्तेजित करके उनसे कभी कभी लिखवावें ; क्योंकि हिन्दी के ज्ञाता समर्थ हो कर भी यदि उसमें कुछ लिखने का यत्न न करेंगे तो उसकी उन्नति की आशा करना व्यर्थ है। मालवीयजी के लिए जो कुछ हमने लिखा वह कटाक्ष नहीं ; वह उलाहना है ; उलाहना भी नहीं, किन्तु प्रेमपूर्वक विनय है। उन्हींसे नहीं ; किन्तु हिन्दी लिखने की जिनमें शक्ति है ऐसे अंगरेजी में प्रवीण सभी विद्वानों से हमारी यह प्रार्थना है कि जब तक वे अपनी लेखनी का घूंघुट न खोलेंगे, जब तक वे अँगरेज़ी के अच्छे अच्छे ग्रन्थों का अनुवाद न करेंगे ; जब तक वे उत्तमोत्तम लेख न लिखेंगे, तब तक हमारी मातृ-भाषा हिन्दी का दरिद्र दूर न होगा।

[फरवरी-मार्च १९०३