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साहित्यालाप


चार सजन भी यदि हिन्दी लिखने का अभ्यास करें तो छोटे मोटे अनेक जीवनचरित थोड़े ही समय में तैयार हो सकते हैं। हिन्दी की कई मासिक पुस्तकों में प्रसिद्ध पुरुषों के जीवनचरित नियमपूर्वक निकलते हैं। उन्हें लोग बड़े चाव से पढ़ते हैं, यह मैं अपने निज के अनुभव से कह सकता है। इससे यह सूचित है कि इस साहित्य को लोग पसन्द करते हैं। अतएव यदि अच्छे अच्छे जीवनचरित प्रकाशित हों तो उनसे लेखक, प्रकाशक और पाठक सभीको लाभ पहुँच सकता है।

१०--पर्यटन-विषयक पुस्तकें

देश-दर्शन और पर्यटन-विषयक पुस्तकें भी साहित्य का एक अंग हैं । उनसे बहुज्ञता बढ़ती है । उन्हें पढ़ने में मन भी लगता है। जो देश या जो स्थान जिसने नहीं देखा उसका वर्णन पढ़ कर उसे तत्सम्बन्धिनी अनेक नई बातें मालूम हो सकती हैं । हिन्दी में इस विषय का एक बहुत अच्छा ग्रन्थ है । उसके कई भाग हैं । लेखक ने भारत के अनेक प्रान्तों में स्वयं भ्रमण करके इस पुस्तक की रचना की है। इसके सिवा चीन, जापान और इंगलैंड की जिन लोगों ने सैर की है उनमें से भी दो एक हिन्दी-हितैषियों ने अपनी यात्रा का वर्णन हिन्दी में पुस्तकाकार प्रकाशित किया है। इस विषय की और भी दो एक पुस्तकें निकली हैं। पर इस अंग की पुष्टि के लिए इतनी पुस्तकें समुद्र में एक बूंँद के बराबर हैं। अनेक भारतवर्षीय युवक प्रतिवर्ष विदेश-यात्रा करते हैं । यदि उनमें से दो एक भी