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हिन्दी की वर्तमान अवस्था


अपनी यात्रा का वर्णन हर साल प्रकाशित करें तो साहित्य के इस अंग की बहुत शीघ्र उन्नति हो जाय। परन्तु,बड़े दुःख की बात है कि ऐसे यात्रियों या प्रवासियों में से जो सज्जन हिन्दी से प्रेम रखते हैं और विदेश से हिन्दी में लिख लिख कर लेख भी भेजने की कृपा करते हैं वे जब इस देश को लौटते हैं तब औरों की तो बात ही नहीं, वे भी हिन्दी लिखने से पराङ्मुख हो जाते हैं।

११---काव्य और नाटक

हिन्दी के साहित्य में काव्यों का बामुल्य है। अनेक अच्छे अच्छे काव्य हैं । अनन्त काव्य-ग्रन्थ तो अब तक अप्रकाशित अवस्था ही में पड़े हुए हैं। सर्वाधिक संख्या श्रृंगार-रसप्रधान काव्यों की है, उससे कम भक्त कवियों के काव्यों की, उससे भी कम वीर-रस के काव्यों की । फुटकर विषयों के काव्य भी बहुत हैं । यह सब पराने काव्यों की वात हुई । वर्तमान समय में जो काव्य हिन्दी में निकले हैं या निकल रहे हैं उनमें से कुछ बिरले कवियों की कृतियों को छोड़ कर शेष को काव्य या कविता कहते संकोच होता है। आजकल कवियों की संख्या बहुत बढ़ रही है। परन्तु जिस तरह के काव्य प्रकाशित होते हैं उनसे विशेष लाभ नहीं । “ रङ्ग में भङ्ग" और "जयद्रथ वध” की कक्षा के काव्यों को इस समय आवश्यकता है। काव्यों की भाषा ऐसी होनी चाहिए जो सबकी समझ