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साहित्यालाप


गया है कि इस इलाज से काम लिया जाय । सरकार के भाव अनुदार नहीं । पर कोई नया काम करने के पहले वह उसकी आवश्यकता की जांच अवश्य कर लेती है। यदि वह उसकी आवश्यकता की कायल हो गई तो कर डालती है। इस दशा में भाषा और लिपि से सम्बन्ध रखनेवाले जो सुभीते हम चाहते हैं उनका होना, परोक्षभाव से, हमारे हो प्रण, परिश्रम और प्रयत्न पर अवलम्बित है।

[अप्रेल १९१७

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