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भारतीय भाषायें और अंगरेज़

स्लीमन सहाब के वक्तव्य को हम यहीं समाप्त करते हैं। इस देशवालों के साथ बातचीत करने में योरपवाले जैसी हास्य-जनक गलतियाँ करते हैं उसके कई नमूने स्लीमन साहब ने अपनी किताब में दिये हैं। परन्तु उन्हें हम यहां पर नहीं देते । टेलर, ह् वीलर और फीलर साहब की दिल्लगी उड़ाने से क्या लाभ?

[ जनवरी १९०८