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साहित्यालाप

इस बादशाह का एक और सिक्का मिला है। उस पर "अलादिन" है।

नवां बादशाह नासिरूद्दीन महमूद (१२४६-६५ ई॰)

यह बाहशाह विद्या का बड़ा व्यसनी था। यह बहुधा क़ुरान की नक़ल किया करता था। लिखने में इसको बड़ा अभ्यास था। हलाकूशाह मुग़ल के भेजे हुए दूत इसी के समय में सबसे पहले पहल देहली आये। इसके सिक्कों में भी "श्री हमीर" पाया जाता है। १० रजब ६५२ हिजरी का इसका एक शिलालेख अलीगढ़ के एक मीनार पर था; परन्तु ग़दर में उसे किसीने नष्ट कर दिया।

दसवां बादशाह ग़यासुद्दीन बल्बन (१२६९-८७ ई॰)

इसीके समय में पहले पहल सोने का बादशाही सिक्का जारी हुआ। इसका 47½ ग्रेन का एक ताँबे का सिक्का मिला है। उस पर है—

एक तरफ़
اسلتان العظیم گیاسودونیا و الدین
[अस्सुल्तानुलाज़म गयासुद्दुनिया व उद्दीन]

दूसरी तरफ़
बीच में بالبن (बलबन) किनारे में–श्री सुलतां ग़यासुदीं।

देहली के पास एक फ़सवा पालम है। उस में हरिपाल के पुत्र उटर की बनवाई हुई एक बावली है। उसमें एक लेख था जो सिपाही विद्रोह के समय नष्ट हो गया। इस