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साहित्यालाप



में लिखना पढ़ना पसन्द करेंगे। अपनी वस्तु का आदर करना स्वयं आप ही की जाति हमें सिखा रही है। आपकी पोशाक आप ही के शीत-प्रधान देश के अनुकूल है । पर आप उसे क्वेटा और जैकवाबाद में भी नहीं छोड़ते। ११५ दर्जे की गरमी में भी फुल बूट, मोज़े डबल पतलून और दो दो तीन तीन मोटे ऊनी कपड़े डाँटे रहते हैं । उस समय आप उपयोगिता और अनुपयो- गिता का ख्याल क्यों नहीं करते ? सो आपकी लिपि आप ही को मुबारक रहे। हमारा काम हमारी दोष-पूर्ण लिपि ही से अच्छी तरह चल जायगा।

श्रीमन्, यदि हमारी मूर्खता लिपिपरिवर्तन ही से दूर हो जाती तो शिक्षा विभाग के किसी भी अधिकारी के मन में तो यह बात आती। आपने तो बोर्ड आफ एजुकेशन की रिपोर्टं पढ़ी हैं। डाइरेक्टर जेनरल आव इजुकेशन की रिपोर्टं पढ़ी हैं, गवर्नमेंट की ऐडमिनिस्ट्रेशन रिपोर्टं पढ़ी हैं-किसीमें आपके बताये हुए इलाज का उल्लेख है ? क्या आप नहीं जानते कि भारत की निरक्षरता का क्या कारण है ? क्या ये जो सरकारी रिपोर्ट और रेजोल्यूशन्स निकलते हैं उनमें इस निरक्षरता का कारण सविस्तर नहीं लिखा रहता ? फिर आप यह एक नया अडङ्गा क्यों लगाने की चेष्टा कर रहे हैं ? आप विद्वान हैं, अत एव आप पर हम गज-निमीलना का दोषारोप नहीं कर सकते। आप ही बताइए, बात क्या है ? लिपि और भाषा चाहे कितनी ही सरल, सुबोध और निर्दोष क्यों न हो, यदि शिक्षा का समुचित प्रबन्ध न किया जायगा तो मूर्खता