अध्याय १० पाश्चात्य साहित्यिक इतिहास : अँगरेजी अँगरेजी साहित्य के एतिहासिक नियोजन का आरंभ अट्ठारहवीं शताब्द देखना उपयोगी सिद्ध होगा कि इसके आविर्भाव के पूर्व क्या तैयारियाँ जरूरी थीं । सर्वप्रथम आकर साहित्य विषयक तथा जीवनीमूलक सामग्री देखने को मिलती है। सोल- हवीं शताब्दी में ही जान लेलैंड और जान बेल ने उन समस्त अँगरेज लेखकों के नामों और कृतियों के शीर्षकों का संकलन किया जिनका पता वे लगा सके । सत्रहवीं शताब्दी में एक आलोचनात्मक परंपरा का उद्भव हुआ, जिससे लेखक अच्छे और कम अच्छे में भेद करने में समर्थ हुए । इसी शताब्दी में 'कवि वृत्त' ('Lives of the Poets ') लेखन की परंपरा का भी आरंभ हुआ, जिसका परिणमन, एक शताब्दी बाद, डा० जानसन के 'लाइज आव द पोए- ट्स' में हुआ । इस काल में पुस्तकालयों का संघटन भी हुआ, जिसके फलस्वरूप प्राचीन ग्रंथ सुलभ हो सके । सन् १६०० के लगभग बोडलियन पुस्तकालय की स्थापना हुई और इसका प्रथम सूची -पत्र १६०५ में प्रकाशित हुआ । आक्सफोर्ड और केंब्रिज के महाविद्यालयों के हस्त- लिखित ग्रंथों के संग्रह सन् १६९७ में एडवर्ड बर्नार्ड के द्वारा सूचीबद्ध हुए । सर राबर्ट काटन का विशाल संग्रह (जो अब ब्रिटिश म्यूजियम का अंग है ) सत्रहवीं शताब्दी में उनके तथा उनके वंशजों का व्यक्तिगत संग्रह बना रहा, किन्तु अट्ठारहवीं शताब्दी के आरंभ में वह राष्ट्र की संपत्ति बन गया । हार्लियन संग्रह ( Harleian Collection) का सूची - पत्र ब्रिटिश म्यूजियम के संरक्षकों की आज्ञा से, सन् १७५९ में प्रकाशित हुआ । इसके तीन-चार वर्षों बाद ही टामस वार्टन ने अँगरेजी काव्य के इतिहास लेखन की योजना बनाई, जिसका प्रथम भाग सन् १७७४ में प्रकाशित हुआ । इस कालावधि में आदि युगीन काव्य की प्रकृति तथा काव्य और सभ्यता के परस्पर संबंध के विषय में बहुसंख्य आलोचकों और दार्शनिकों के द्वारा सिद्धांत प्रवर्तित किये जा चुके थे । सत्रहवीं शताब्दी के अंत में, जार्ज हिक्स (George Hickes) के अनवरत परिश्रम के फलस्वरूप, पर्याप्त भाषा तत्त्व संबंधी ज्ञान भी सुलभ हो चुका था । साहित्यिक इतिहास के पूर्वावश्यक तत्त्वों में प्रमुख हैं पुस्तकालय, सूची- पत्र, आकर- साहित्य-सूची, जीवनियाँ, कारणत्व और विकास का बोध, तथा भाषाशास्त्रीय ज्ञान । इनके अनिवार्यतः मंद विकास के कारण ही हम देखते हैं कि सर्वत्र, अन्य विषयों के इतिहास की तुलना में, साहित्य के इतिहास का प्रणयन बाद में शुरू हुआ । साहित्य के ऐतिहासिक अध्ययन की, इंग्लैंड में, दो ही प्राचीन परंपराएँ पाई जाती हैं। एक विशुद्ध रूप से प्रत्नतात्विक' है । इसी परंपरा के अंतर्गत डब्लू डब्लू० ग्रेग और डोवर विलसन जैसे आधुनिकों के अध्ययन आते हैं, जिनका संबंध प्रधानतः शेक्सपियर के पाठ की
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