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साहित्य का उद्देश्य

प्रकाशित हुई थी। तब से वह बराबर सभी पत्रिकाओं मे लिख रही हैं। उनकी रचनाओं में प्राकृतिक दृश्यो के साथ मानव-जीवन का ऐसा मनोहर सामजस्य होता है कि एक-एक रचना मे संगीत की माधुरी का आनन्द आता है। साधारण प्रसगों मे रोमास का रग भर देने मे उन्हे कमाल है। इधर उन्होने एक उपन्यास भी लिखा है, जिसमे उन्होने वर्तमान समाज की एक बहुत ही जटिल समस्या को हल करने का सफल उद्योग किया है और जीवन का ऐसा आदर्श हमारे सामने, पेश किया है जिसमे भारतीय मर्यादा अपने कल्याणमयरूप की छटा दिखाती है । हमे अाशा है, हम जल्द ही आपका उपन्यास प्रकाशित कर सकेंगे।

श्रीमती कमला चौधरी ने भी लगभग दो साल से इस क्षेत्र में पदार्पण किया है, और उनकी रचनाएँ नियमित रूप से 'विशाल-भारत' मे निकल रही है । नारी-हृदय का ऐसा सुन्दर चित्रण हिन्दी मे शायद ही और कहीं मिल सके । आप की हरेक रचना मे अनुभूति की-सी यथार्थता होती है । 'साधना का उन्माद', 'मधुरिमा' और 'भिखमंगे की बेटी' अादि उनकी वह कहानियाँ हैं, जो नारी हृदय की साधना, स्नेह और त्याग का रूप दिखाकर हमें मुग्ध कर देती हैं। आप कभी-कभी ग्रामीण बोली का प्रयाग करके अपने चरित्रों मे जान-सी डाल देती हैं। आपकी गल्पो का एक संग्रह 'साधना का उन्माद' नाम से हाल मे ही प्रकाशित हुआ है।

कुमारी सुशीला आगा की केवल दो कहानियों हमने पढ़ी हैं, लेकिन वह दोनो कहानियाँ पढ़कर हमने दिल थाम लिया । 'अतीत के चित्र' मे उन्होने नादिरा की सष्टि करके सिद्ध कर दिया है कि उनकी रचना- भूमि ज़रखेज़ है और उसमे मनोहर गुल-बूटे खिलाने को दैवी शक्ति है । कह नहीं सकते, वह इस शक्ति से काम लेकर साहित्य के उद्यान की शोभा बढ़ायेंगी, या उसे शिथिल हो जाने देगी । अगर ऐसा हुआ, तो साहित्य-प्रेमियों को दुःख होगा।

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