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साहित्य का उद्देश्य

गहरा असर पडे । इसलिए यह कहना कि कविता का कुछ उद्देश्य ही नहीं होता और उसको उपयोगिता के बन्धन मे बाँधना गलती है, एक सारहीन बात है । कवि को देखना होगा कि वह जो दूसरो को रुला रहा है, या हँसा रहा है तो क्यो ? मेरी पत्नी का स्वर्गवास हो गया है, तो मैं क्यो दूसरों के सामने रोता और उनको रुलाता फिरूं इसीलिए कि बिना दूसरो के सामने रोये दिल का बोझ हलका नहीं होता ? नहीं। उसका उद्देश्य है, हमारी करुण भावनाओ को उत्तेजित करना, हमारी मानवता को जगाना और यही उसकी उपयोगिता है । मगर हम तो कवि की सभी अनुभूतियो के कायल नहीं। अगर उसने अपनी प्रेयसी के नखशिख के बखान मे वाणी का चमत्कार दिखाया है, तो हम देखेंगे कि उसने किन भावो से प्रेरित होकर यह रचना की है । अगर उससे हमारे मनोभावो का परिष्कार होता है, हममे सौन्दर्य की भावना सजग होती है, तो उसकी रचना ठीक, वरना ग़लत ।


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