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विलायत का "टाइम्स" नामक प्रसिद्ध समाचार-पत्र

भिन्न-भिन्न स्थानों में रखने में बहुत समय व्यय होता था। पूर्वोक्त जर्मन कारीगर ने एक कल और तैयार की जो टाइपों को निकाल-निकालकर उनके निश्चित स्थानों में पहुँचा देती थी। परंतु इस कल से आशाजनक सफलता न हुई। इसी बीच में विक्स नाम के एक साहब ने टाइप ढालने की एक कल ऐसी तैयार की थी जो टाइपों को बहुत शीघ्र और साथ ही पुराने टाइपों से बहुत उम्दा और थोड़े ही खर्च में ढाल देती थी। १८९९ ई॰ में यह लाइनों टाइप (Lino type) मैशीन तैयार हुई। टाइम्स के मालिकों ने विक्स साहब को अपने लिये टाइप ढालने का ठेका दे दिया। आज-कल टाइम्स के कार्य्यालय में जो टाइप एक बार काम में आ जाता है उससे फिर काम नहीं लिया जाता। वह गला डाला जाता है। मैशीन-द्वारा टाइप आप ही ढलते और मैटर कम्पोज होता जाता है।

१९०४-०५ में रूस-जापान-युद्ध हुआ था। उस समय युद्ध समाचार पाने के लिए टाइम्स के मालिकों ने अपने कार्य्यालय से युद्ध-स्थल के एक जहाज़ तक बेतार का तार लगा दिया था। इस अभूतपूर्व प्रबन्ध-कुशलता की जितनी तारीफ की जाय कम है।

टाइम्स में विज्ञापनों की भरमार रहती है। ज्यों-ज्यों उसकी ख्याति बढ़ती गई त्यों-त्यों विज्ञापनों की संख्या में भी वृद्धि होती गई। विज्ञापनों से टाइम्स को आमदनी भी बहुत होती है। टाइम्स में बड़े आकार के बीस पच्चीस पृष्ठ रहते हैं। यह पृष्ठ संख्या कभी-कभी अधिक भी हो जाती है। साम्राज्य दिन (Empireday) पर टाइम्स के अङ्क का आकार बहुत बढ़ जाता है। उसका वह अङ्क कभी-कभी ७२ पृष्ठों का निकलता है।

समाचारों की सत्यता, साहित्य-सम्बन्धिनी चर्चा और गवेषण-पूर्ण लेखों की महत्ता के लिये टाइम्स बहुत प्रसिद्ध है। उसके लेखक