पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१००

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ग्यारहवां अध्याय ७६ राग पोलू-मात्रा साढ़े नौ- नि सारे ग रे सा ग म गरे सारेरे निमा धी ना धी धी ना ती ना धिना धिंतिर किट धी X । इस गति में यदि आप स्वरों को बोलने का प्रयास करेंगे तो ताल में ग़लती हो जाने की संभावना है। अतः मन में धी ना धी धी ना तीना धिना धिंतिर किट,धी ही बोलते रहिये । इन बोलों पर जैसी भी इच्छा हो मिजराब लगाते रहिये । जिस राग के स्वरों पर आप इन बोलों को वजा देंगे, उसी राग की गति बन जायगी। साढ़े हे-दस मात्रा में गति बनाने की युक्ति- इसी आधार से साढ़े-दस मात्रा में गतियाँ बनाने के लिये इसी (धीना धिंत्तिर किट,धी ) ढाई मात्रा बोल से पहिले आठ मात्राएँ बजा डालिये । जैसेः- धी ना धी धी ना ती ना धी धीना धिंतिर किट । धी ३ ६ १० साढ़े-ग्यारह मात्रा में गति बनाने की युक्ति- ठीक इसी प्रकार यदि आप इस ढाई-मात्रा के बोल से पूर्व कोई भी नौ मात्रा जोड़ दें तो जो गति बनेगी वह साढ़े ग्यारह मात्रात्रों की होगी। देखिये, हम एकताल को नौ मात्राएँ जोड़कर इसे निम्न प्रकार बनायेंगेः- धी धी. ना त्रक तू ना क त्ता धी धीना धितिर किट,धी १० ११ अब तक हमने आपको हर प्रकार की गते बनाने का क्रम बतला दिया है । अब आगे के अध्याय में द्रुत लय क्री गतियाँ बनाने का ढंग देखिये । V १ है X ३ ४ ७