पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१०३

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८२ सितार मालिका यदि पुनः नं० ३ के ही ढांचे में १३-१४-१५-१६-१-२-३ और ४ मात्रा को ज्यों का त्यों रखें और शेष आठ मात्राओं में कुछ नवीन परिवर्तन करदें तो एक नवीन ढांचा बन जायेगा। जैसे :-- दा- दाई दा दादा - दा दा दिर दा रा दा दा रा x २ . ३ इसी में तनिक सा और परिवर्तन देखिये:- दा रा दा दिर दा रा ) दा- रदा -र दिर | दा दिर दा रा २ इसी प्रकार इन बोलों को उलट-पलट कर आप अनेक सुन्दर और नवीन गतों की रचना कर सकते हैं। द्रुतलय में दो आवृत्तियों की गहें तैयार करना- अब एक-दो ढांचे दो आवृत्तियाँ के देते हैं। इनमें किसी प्रकार भी बोलों के आधार से दो आवृत्तियाँ पूरी कर दी जाती हैं। जैसे:- दा दिर दा रा दिर दा रा दा दिर दिर दिर | दा- दा ३ X २ दा दिर दा दा दा दा रा दा दिर दिर दिर दा- रदा र दा २ O ३ यह गति खाली से शुरू की गई है। अब एक गति पांचवीं मात्रा से शुरू करते हैं:- दा--दि डा-दा--दि डा- दा--दि। डा- दा--दिडा- ड़ा २ ३ X दा दा रा दा | दिर दिर दिर दा- रखा र दा दिड दा दिर दा रा २ ० ३ X