पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१२

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. [ नौ ] हमीर-८८, भैरव-८, ढांचा नं ७ आसावरी-८८, खमाज-८, दुर्गा-८८, देशकार-८९, बहार-८६, ललित-८६, है, भूपाल तोड़ी,-८६, ढांचा नं ८ कामोद-६, गौंड मल्लार-८८, रागेश्री-६०, भैरवी-६०, हिंडोल-६०, भूपाली-६०, तिलक कामोद-६०, कालिंगड़ा-६०, दरबारी-६१, , ढांचा नं ६ तोड़ी-६१, काफी-६१, तिलंग-६१, श्री-६१, ललित-६१, ढांचा नं० १० विभास-६२, पूरिया-धनाश्री-६२, परज-६२, सिंदूरा-६२, श्री-६२, रामकली-६२, देशी-६३, जौनपुरी-६३, पूरिया-६३, ढांचा नं० ११ बसंत-६३, मालकोष-६४, बसंत- बहार-६४, भटियार-६४, राजेश्वरी-६४, नायकी कान्हरा-६५, मालगुञ्जी-४३, ढांचा नं० १२ काफी-६५, हिन्डोल-६६, पूरिया-६६, मालकोप-६६, गूजरीतोड़ी-६७, यमन-६७, बिहाग-६७, द्रुत इकताले के लिये गतियों का निर्माण-६८, ढांचा नं० १३ जैजैवन्ती-६८ गौड़सारंग-६६, शंकरा-६६, काफी-६६, पटदीप-६६, ढांचा नं० १४ मालकोप-६६, बागेश्री-६६. वृन्दाबनी सारंग-१००, पीलू १००, भैरवी-१००। तेरहवां अध्याय गति को आड़ी-तिरछी करने की युक्ति-१०१, आड़ी-तिरछी का एक क्रम-१०१, दूसरा क्रम-१०२, तीसरा क्रम-१०२, उदारहण गति की आड़ी-तिरछी-१०२, ताने बजाने का क्रम-१०८, दुगुन की तानें बजाना-१०६, चौगुन की ताने बनाना-१०६ । चौदहवां अध्याय तानें बनाने का क्रम-११०, अलंकारिक तानें बनाना-११०, नये अलंकार रचने का ढंग-१११, अलंकारों में नवीनता उत्पन्न करने का ढंग-१११, गमक की ताने बनाना ११२, बाँये हाथ को तैयार करने वाली ताने बनाना-११२. गमक के साथ अवरोही मिली तानें बनाना-११३, जमजमे की तानें बनाना-११३, सुमेरु खंडी तानें वनाना-११३, गिटकिड़ी की ताने बनाना-११४, लाग-डाट की ताने बनाना-११४, मिजराब के बोलों से तानों का निर्माण-११५ । पन्द्रहवां अध्याय कुछ सरल तीये बनाने की विधि-११६, तीये का महत्व-११६, तीन धा का तीया ११७, इसे बजाने की युक्ति-११७, इसे कितने प्रकार से बजाया जा सकता है-११७, चार धा का तीया-११८, पांच धा का, छ: धा का, सम से सम तक सात धा का तोया-११६ एक ही तीये से अनेक तीये कैसे बनाये-११६, सम से सम तक के तीये-१२०, यह तीये कैसे बनायें, सम से सम तक के तीयों के उदाहरण-१२१, । सोलहवां अध्याय विभिन्न लय के कुछ कठिन तीये, चक्रदार और झाले बनाना-१२४, तीया नं० १. २, ३-१२४, इन्ही तीयों को दूसरी प्रकार बजाना उदाहरण नं० ४, ५, ६, ७,८,६-१२५, दो आवृत्ति के तीये नं० १० नं० ११ नं० १२-१२८, सितार में चक्रदार बजाना-१३०. चक्रवार बनाने का नियम-१३०, उदाहरण नं० १, नं० २, चक्रदार बनाने का सूत्र-१३२, फरमा- इशी चक्रदार बनाना-१३३, साधारण चक्रदार बनाना-१३३, उदाहरण नं० ३ साधारण चक्रदार बनाने का दूसरा नियम-१३३, उदाहरण नं० ४, कमाली चक्रदार बनाना-१३४, तीन धा की कमाली चक्रदार-१३४, उदाहरण नं०५ चार धा को कमाली चक्रहार-१३५, उदाहरण झालों के आधार से लय बखेरना-१३६, गति की समामि का तीया-५४० ।