पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१३३

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सितार मालिका और फिर इसी क्रम से 'सा' बढ़ाने पर मग रेसा सा-, पम गरे रे-, धप धप मगर आदि हो जायगा। गमक की ताने- कभी-कभी गमक की तानें बनाते समय चौगुन की लय रखी जाती है और भ्रम पौनी लय का उत्पन्न कर दिया जाता है। उदाहरण के लिये सासासा,रे रेरे,गग ग,ममम, मगरेसा; रेरेरे,ग गग,मम म,पपप, पमगरे आदि। इस प्रकार प्रत्येक चार मात्रा के बाद में क्रम पूरा करके पुनः नया मेल इसी आधार से बजाया जाता है। इसी मेल को उल्टा अर्थात् मगरेसा ममम,ग, गग,रेरे रे,सासासा या मगरेसा को अन्त में जोड़ कर, जैसे ममम,ग गग,रेरे रे,गगग मगरेसा बना लिया जाता है। यदि केवल तीन-तीन मात्राओं इस प्रकार का अलंकार बजाना चाहें तो अन्तिम चार स्वर न बजाइये । अर्थात् सासासा,रे रेरे,गग ग,ममम, पपप,ध धध,निनि निसांसांसां बन जायेगा। बाएं हाथ को तैयार करने वाली तानें बनाना- । हाथ को तैयारी में लाने के लिये कुछ ऐसी भी तानें बनाई जाती हैं जिनमें आरोही तथा अवरोहो दोनों में हाथ विशेष रूप से तैयार हो जाये। जैसे आरोही में हाथ तैयार करने के लिये गं रें गं रेंग रें सां नि ध प म ग रे सा, इसे पुनःरें से प्रारम्भ करने पर रे सा रे सा रें सां नि ध प म ग रे सा नि कर दीजिये। सां से शुरू करने पर 'सा' पर ही समाप्त कर दीजिये। जब अन्त में आधा स्वर बचे अर्थात् पूरी मात्रा न हो तो नि और जोड़ दीजिये। जैसे, सांनि सांनि सांनि धप मग रेसा, निध निध पम गरे सानि, धप धप धप मग रेसा, पम पम गरे सानि । इसी प्रकार आरोही में हाथ तैयार करने के लिये एक क्रम देखिये । निसा निसा निसा रेसा, निसा निसा निसा गरे, निसा निसा निसा मग, निसा निमा निसा पम, निसा निप्ता निप्ता धप, इस प्रकार भारोही में एक स्वर जहाँ तक इच्छा हो बढ़ाते चले जाइये । , इसी तान अवरोही में बदलने के लिये इस प्रकार भी कर सकते हैं। जैसे, निसां निसां निसां धसां, निसां निमां निसां पसां, निसां निसां निसां मसां, निसां निसां निसां गसां आदि।